आजादी की लड़ाई के गवाह जग्गेरी लाल ने दिल्ली हिंसा पर दिया बड़ा बयान, अंग्रेजों की तरह कुछ नेता कर रहे अत्याचार कोलकाता में सोमवार को आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, “दिल्ली में जो हिंसा हुई हम उससे काफी दुखी और स्तब्ध हैं और इसकी निंदा करते हैं। मुझे लगता है यह एक सुनियोजित नरसंहार था। हमें ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचना होगा। हमें अपना इगो अलग रखना होगा।”
उन्होंने आगे कहा कि कोलकाता में भड़काऊ नारेबाजी करने के आरोप में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है। बनर्जी ने कहा, “दिल्ली में भड़काऊ भाषण देने वाले भाजपा नेताओं को गिरफ्तार नहीं किया गया है, लेकिन कल रात मैंने तीन भाजपा कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार करवाया है (इनके ऊपर कोलकाता में देश के गद्दारों को… नारेबाजी करने का आरोप है)।”
पश्चिम बंगाल की सीएम ने चेतावनी देते हुए कहा, “यह शब्द भड़काऊ हैं और कड़ी कार्रवाई की जाएगी। यह दिल्ली नहीं है, यह बंगाल है।” केंद्र सरकार पर देश को बांटने का आरोप लगाते हुए दीदी ने कहा, “जाति और धर्म के नाम पर देश में आग लगाई जा रही है।” उन्होंने अपनी पार्टी तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रायन से अपील की कि वह राज्य से चंदा जुटाकर दिल्ली हिंसा के पीड़ितों की मदद करें और उन्होंने कहा कि मानवता के आधार पर हमारे दरवाजे उनके लिए खुले हैं।
मौजपुर में जब शाहरुख ने तानी थी पिस्टल, इस बहादुर पुलिसवाले दीपक ने कर दिया था कमाल #DelhiViolence कोलकाता में इस कार्यक्रम के दौरान तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने लोगों तक पहुंचने के लिए दो माह लंबे अभियान को भी लॉन्च किया।
गौरतलब है कि दिल्ली हिंसा को लेकर ओवैसी ने एनडीए नेताओं की खामोशी पर भी सवाल उठाए। हैदराबाद में आयोजित एक जनसभा को संबोधित करते हुए ओवैसी ने कहा, “मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूछना चाहता हूं कि क्यों उन्होंने दिल्ली हिंसा पर एक भी शब्द नहीं कहा, जबकि घटना उनके आधिकारिक आवास से कुछ किलोमीटर दूर की है। हिंसा में 40 से ज्यादा लोगों की जान चली गई। पीएम मोदी को इस मामले में बोलना चाहिए और एक बार हिंसा प्रभावित शिव विहार का दौरा करना चाहिए क्योंकि हिंसा में मारे गए सभी व्यक्ति हिंदुस्तानी थे।”
दिल्ली हिंसा में शहीद हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल की मौत की असल वजह आई सामने, ऑटोप्सी रिपोर्ट में हुआ खुलासा उन्होंने आगे कहा, “मैं प्रधानमंत्री को बताना चाहता हूं कि यह हिंसा उनकी पार्टी के नेताओं द्वारा दिए गए बयान के कारण हुई। यह एक नरसंहार है। मुझे लगता है कि प्रधानमंत्री को गुजरात में 2002 में सबक मिल गया था, लेकिन 2020 में दिल्ली में भी नरसंहार हुआ।”
ओवैसी ने इसके अलावा दिल्ली हिंसा को लेकर एनडीए के अन्य राजनेताओं की चुप्पी पर भी सवाल उठाए। ओवैसी ने कहा, “मैं नीतीश कुमार, राम विलास पासवान और अकाली दल से पूछना चाहता हूं कि वो दिल्ली हिंसा पर क्यों चुप रहे। 2002 में गुजरात दंगों के बाद राम विलास पासवान ने केंद्रीय मंत्रालय से इस्तीफा दे दिया था। क्या अकाली दल 1984 को भूल गई है?”