भाजपा के दिग्गज स्टार प्रचारकों ने जहां पहले चरण के चुनावी जनसंपर्क अभियान में एक—एक जिले को पूरी तरह से मथ डाला है। इसके अलावा पीएम नरेंद्र मोदी,गृहमंत्री अमित शाह और सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी जनसंपर्क कर चुनाव को भाजपा के पक्ष में करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। बसपा की मायावती अब चुनाव प्रचार अभियान पर निकली हैं तो वहीं कांग्रेस की प्रियंका गांधी अकेले ही पूरे चुनाव प्रचार की कमान संभाले हुए हैं। इन सबसे बावजूद भी सभी की नजरें दलित मतदाताओं पर टिकी है। इस बार दलित वर्ग के थिंक टैंक में गहन मंथन चल रहा है। पश्चिमी उप्र में दलितों की सबसे अधिक संख्या जाटव, खटीक, वाल्मीकि, पासी जैसी बिरादरियों की है। लेकिन इनमें सबसे अधिक वोटर संख्या यानी 50 प्रतिशत पर जाटव का कब्जा है।
यह भी पढ़े : UP Assembly Elections 2022 : पहले चरण का चुनाव प्रचार आज शाम छह बजे से बंद,11 जिलों की 58 सीटों पर 10 फरवरी को मतदान भाजपा के दलित नेता चरण सिंह लिसाडी का कहना है कि आज दलित अपने वोटों की कीमत जान गया है। इसलिए वो अब एक जगह वोट नहीं करता। जहां उसको अपना और समाज का लाभ दिखाई देता है वहीं दलित समाज वोट करता है। दलित चिंतक सतीश कुमार का कहना है कि दलितों को लेकर हमेशा से राजनीति होती रही है। राजनैतिक दल अपने लाभ के लिए इस समाज को मोहरा बनाते रहे हैं। अब मुददे के साथ ही सुरक्षा और सम्मान भी प्राथमिकता पर है। ऐसे में जरूरी नहीं कि दलित एक ही जगह वोट करें।
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पश्चिमी उप्र में दलितों के प्रभाव वाले जिलों में मेरठ, आगरा, मथुरा, हापुड, बुलंदशहर, मुरादाबाद, बिजनौर, रामपुर, सहारनपुर, नोएडा इत्यादी हैं। इन जिलों में दलितों का मत चुनाव को पलटने में बड़ी भूमिका निभाता रहा है। आगरा में दलितों की अच्छी खासी संख्या है। इसके बाद सहारनपुर में दलितों मतदाताओं की संख्या काफी है। इसलिए ही मायावती ने अपने चुनावी अभियान की शुरूआत आगरा से की है।
पश्चिमी उप्र में दलितों के प्रभाव वाले जिलों में मेरठ, आगरा, मथुरा, हापुड, बुलंदशहर, मुरादाबाद, बिजनौर, रामपुर, सहारनपुर, नोएडा इत्यादी हैं। इन जिलों में दलितों का मत चुनाव को पलटने में बड़ी भूमिका निभाता रहा है। आगरा में दलितों की अच्छी खासी संख्या है। इसके बाद सहारनपुर में दलितों मतदाताओं की संख्या काफी है। इसलिए ही मायावती ने अपने चुनावी अभियान की शुरूआत आगरा से की है।