क्या है पूरा मामला ? दरअसल, प्रवर्तन निदेशालय (ED) वक्फ बोर्ड घोटाले की जांच कर रहा है। वक्फ बोर्ड में धांधली की शिकायत मिलने के बाद गुरुवार को कुल सात जगहों पर ED ने छापेमारी की थी। बता दें कि महाराष्ट्र वक्फ बोर्ड मंत्री नवाब मलिक के अधीन आता है, और अब नवाब मलिक ने भी इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। इस छापे को लेकर नवाब मलिक ने एक प्रेसवार्ता की और कहा ‘छापेमारी वक्फ बोर्ड के दफ्तरों पर नहीं हुई थी, बल्कि पुणे जिले का एक ट्रस्ट है, जिसका नाम तबुत इनाम बंदोबस्ती ट्रस्ट (Tabut Inam Endowment Trust) है, उसी के दफ्तरों पर हुई है। ये ट्रस्ट 19 मई 2009 को ये चैरिटी कमिश्नर के पास से वक्फ बोर्ड को ट्रांसफर हुआ था। वक्फ एक्ट 1995 को आघाडी सरकार बनने के बाद लागू किया गया था और जो भी संस्थाएँ चैरिटी कमिश्नर के पास रजिस्टर थी उन्हें डी रजिस्टर कर दिया था। मीडिया में खबरें चल रही हैं कि अब ईडी नवाब मलिक के घर तक पहुंच जाएगी। अगर ऐसा है तो मैं कहना चाहूंगा कि ईडी का स्वागत है।’ इसके साथ ही उन्होंने कहा कि “नवाब मालिक किसी से नहीं डरता न ED से न ही मौत से।”
नवाब मलिक ने प्रेस वार्ता कर अपना पक्ष रखते हुए बताया कि कैसे उनका मंत्रालय पहले से ही इसकी जांच कर रहा है, परंतु जिस तरह से ED जांच कर रही है उसकी टाइमिंग को लेकर सवाल उठ रहे हैं। सवाल ये कि वक्फ बोर्ड में भ्रष्टाचार के मामले पहले से हैं तो फिर ED अचानक को जागी है ? वो भी तब जब नवाब मलिक लगातार बीजेपी पर हमले कर रहे हैं।
वक्फ बोर्ड क्या है ? मुसलमानों की भलाई के लिए दी गई जमीन या संपत्ति को वक्फ कहते हैं और बोर्ड इसका हिसाब रखता है। इस बोर्ड के पास संपत्ति अधिग्रहण करने, उसे अपने पास रखने या हस्तांतरण करने का अधिकार होता है। ये बोर्ड न्यायिक व्यवस्था के दायरे में बनता है और हर राज्य के पास अपना वक्फ बोर्ड होता है जिसके अपने चेयरमैन होते हैं।
वक्फ बोर्ड, वक्फ एक्ट 1995 मुताबिक काम करता है, या यूं कहें कि ये भी एक ट्रस्ट की तरह काम करता है बस अंतर इतना है कि ट्रस्ट का दायरा बड़ा होता है, जबकि वक्फ बोर्ड धार्मिक कार्यों तक सीमित है। ट्रस्ट को उसका बोर्ड चाहे तो भंग कर सकता है, परंतु वक्फ बोर्ड के साथ ऐसा नहीं है।
घोटालों का पुराना रिकार्ड महाराष्ट्र में वक्फ बोर्ड की कुल संपत्ति 23,566 है। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि महाराष्ट्र में वक्फ बोर्ड के पास 37330 हेक्टेयर की जमीन है और एक हजार से अधिक संपत्ति पर वक्फ बोर्ड का अवैध कब्जा है।
पहले यही संपत्ति महाराष्ट्र में लगभग 93,418 एकड़ वक्फ भूमि थी, परंतु महाराष्ट्र में वक्फ की अधिकतर जमीन या तो अवैध हस्तांतरण या अतिक्रमण के कारण खत्म हो गई। तहरिके अवकाफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शब्बीर अहमद अंसारी ने महाराष्ट्र स्टेट वक्फ बोर्ड को राज्य में हो रही वक्फ संपत्ति की बंदर बांट के संदर्भ में इसी वर्ष अक्टूबर माह में घोटालों की लिस्ट भी दी थी।
वर्ष 2017 में आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) ने भी पूरे राज्य में वक्फ भूमि सौदे में कथित अनियमितताओं की जांच शुरू की थी। तब राज्य सीआईडी ने कहा था कि वो सरकार के आदेश के अनुसार सभी वक्फ भूमि सौदों की जांच कर रही है, परंतु कोई मामला दर्ज नहीं किया गया था।
ऐसे ही एक और मामले में पुणे शहर पुलिस ने इम्तियाज शेख और चांद मुलानी समेत चार अन्य के खिलाफ इसी वर्ष मामला दर्ज किया था। इन आरोपियों ने वक्फ बोर्ड की जमीन को एक ट्रस्ट से संबंधित दिखाकर जिला प्रशासन से 7 करोड़ 76 लाख 98 हजार 250 रुपए का डीडी ली थी और ये पैसे अपने निजी खाते में जमा कराए थे। इसका उल्लेख नवाब मलिक ने अपनी प्रेस वार्ता में भी किया है।
सस्ते किराए के नाम पर बड़ा गोरखधंधा बता दें कि वक्फ से जुड़े ट्रस्ट इस जमीन को किराए पर भी दे सकते हैं, परंतु इसमें भी गड़बड़झाले के आरोप लगते रहे हैं। उदाहरण के लिए, भुलेश्वर में एक संपत्ति इंडियन ऑयल को सालाना 2 लाख 55 लाख के किराए पर दी गई थी, जबकि इसी संपत्ति पर पहले केवल 2.5 हजार रुपये ही मिलते थे। इस मामले से सामने आया कि कैसे सस्ते किराए के नाम पर बड़ा गोरखधंधा चलाया जा रहा था। जरा सोचिए ऐसे कितेने मामले होंगे जिनके बारे में शायद अब तक पता नहीं चल पाया है।
भूमि घोटाले की सरकारी जांच ठप ऐसे ही वर्ष 2017 में राज्य में 2,500 करोड़ रुपये का वक्फ भूमि घोटाला सबसे बड़ा वक्फ धोखाधड़ी के रूप में सामने आया था, जिसके खुलासे ने वर्ष 2017 में सभी चौंका दिया था। हालांकि, इस मामले की जांच पूरी नहीं हो सकी क्योंकि महाराष्ट्र प्रशासनिक न्यायाधिकरण (एमएटी) ने तब इस मामले की जांच पर अंतरिम रोक लगा दी थी। इसके बाद अपने पद का दुरुपयोग करने के मामले में घिरी वक्फ़ बोर्ड की तत्कालीन सीईओ नसीम बानो पटेल को सस्पेंड कर दिया गया था। दरअसल,फरवरी 2016 में नासिक में 55 एकड़ की वक्फ संपत्ति को गैर-वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया था जिसको लेकर नसीम बानो पटेल के खिलाफ़ जांच बैठा दी गई और आखिर मे उन्हें राज्य सरकार ने दोषी पाते हुए सस्पेंड कर दिया गया।
इसके बाद वर्ष 2017 ED ने अपनी जांच में पाया कि वक्फ प्रापर्टी बेचने के गोरखधंधे में कई बड़े लोग शामिल थे, जिनमें कथित तौर पर राज्य के पूर्व अल्पसंख्यक मंत्री और कांग्रेस नेता नसीम खान के अलावा मुंबई पुलिस के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी हिमांशु राय का भी नाम सामने आया था। उस समय नसीम खान ने इस मामले में न्यायिक जांच की मांग भी की थी। मामले तो कई सामने आए, परंतु जांच में देरी को लेकर वर्तमान सरकार पर सवाल उठते हैं कि उसने इस मामले की गंभीरता को क्यों नहीं समझा? और समझ तो जांच धीमी गति से क्यों की गई? 2,500 करोड़ रुपये का वक्फ भूमि घोटाला हुआ तो इसकी जांच अब तक पूरी क्यों नहीं कराई गई? यहाँ नवाब मलिक की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
ED सवालों के घेरे में ये तो वो मामले हैं जो सामने आ सकें है, परंतु ऐसे न जाने कितने ही घोटालों के मामलों को दबा दिया गया तो कुछ पर रोक लगा दी गई।महाराष्ट्र मे वक्फ भूमि की संपत्ति में घोटालों की लिस्ट तो पहले से ही है, परंतु ED का इस तरह से ऐक्टिव होना सवाल तो खड़े करता ही है। वो भी तब जब महाराष्ट्र की राजनीति में नवाब मलिक बनाम महाराष्ट्र के पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस की लड़ाई देखने को मिल रही है।
महाराष्ट्र में ड्रग्स केस पर शुरू हुई तकरार आरोप-प्रत्यारोप और जांच और मानहानि के नोटिस के धमाकों मे बदल गया। एक तरफ नवाब मलिक के दामाद समीर खान ने देवेंद्र फडणवीस को कानूनी नोटिस भेजा है, तो दूसरी तरफ अमृता फडणवीस ने नवाब मलिक को लीगल नोटिस भेज दिया है। अब ये और आगे बढ़ते हुए प्रदेश में चल रहे भ्राष्टाचार और धांधली की जांच पर आ गया है। आने वाले दिनों में इस मामले में और बड़े खुलासे होने की संभावना है।