इस बैठक में कोरोना को लेकर सरकार की विफलताओं पर निशाना साधा गया। सोनिया गांधी ने मोदी सरकार ( Modi Govt ) पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि सरकार ने लॉकडाउन को ठीक से लागू नहीं किया। आर्थिक मोर्चे ( Economic Front ) पर भी सरकार पूरी तरफ विफल साबित हुई है। बैठक की शुरुआत सोनिया गांधी ने सभी विपक्षी दलों की ओर से ओडिशा और पश्चिम बंगाल में आए चक्रवाती तूफान अम्फन से 80 लोगों की मौत पर दुख जताकर की।
विमानों में सभी टिकटों की बुकिंग को लेकर कांग्रेस एतराज, बताई पीछे की बड़ी वजह सोनिया गांधी ने आरोप लगाया कि केंद्र की मोदी सरकार के पास कोई एग्जिट प्लान नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने मोदी की ओर से हाल में घोषित किए गए ‘आत्मनिर्भर पैकेज’ को भी जनता के साथ एक मजाज बताया।
सोनिया ने पीएमओ को बताया सारी शक्ति का केंद्र – महामारी का सबसे बुरा असर लाखों प्रवासी श्रमिकों पर पड़ा है।
– मजदूर कई बच्चों के साथ सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर, बिना पैसे, भोजन या दवाओं के अपने गृह राज्यों में पहुंचने के लिए बेताब हैं।
– प्रवासी श्रमिकों की दुर्दशा के अलावा, निचले तबके के 13 करोड़ परिवारों को भी सरकार ने नजरअंदाज किया। इनमें किरायेदार, किसान और भूमिहीन कृषि श्रमिक शामिल है।
– कई जगह कर्मचारियों को नौकरी से हटा दिया गया।
-6.3 करोड़ एमएसएमई में से 5.8 करोड़ और बड़े व्यवसायों सहित संगठित उद्योग, जो हमारे देश के विकास को बढ़ाते हैं। इनकी हालत बिगड़ गई।
– हम जैसे समान विचारधारा वाले दलों के नेताओं ने सरकार से गरीबों को नकदी हस्तांतरित करने की मांग की।
– सभी परिवारों को मुफ्त अनाज वितरित किया जाना चाहिए, प्रवासी यात्रियों को उनके घरों में वापस जाने के लिए बसों और ट्रेनों की व्यवस्था करनी चाहिए। हमने इस बात पर जोर दिया कि कर्मचारियों और नियोक्ताओं की सुरक्षा के लिए वेज असिस्टेंस और वेज प्रोटेक्शन फंड की स्थापना की जानी चाहिए।
– सपोर्ट देने की बात तो दूर, सरकार ने पब्लिक सेक्टर यूनिट की नीलामी और श्रम कानूनों को निरस्त कर दिया। इन पर संसद में बहस का एक ढोंग भी नहीं किया। है।
– कई प्रसिद्ध अर्थशास्त्री भविष्यवाणी कर रहे हैं कि 2020-21 तक कर्जा शून्य से 5 प्रतिशत तक की नकारात्मक वृद्धि के साथ समाप्त हो जाएगा। इसके परिणाम भयावह होंगे।
– वर्तमान सरकार के पास कोई समाधान नहीं है, यह चिंताजनक है।
– इस सरकार के पास गरीबों और कमजोर लोगों के लिए कोई सहानुभूति या दया नहीं है।
– सारी शक्ति अब एक कार्यालय, पीएमओ में केंद्रित है। संघवाद की भावना जो हमारे संविधान का एक अभिन्न हिस्सा है, सभी भूल गए हैं। संसद के दोनों सदनों या स्थायी समितियों को बैठक करने के लिए बुलाया जाएगा, इसके कोई संकेत भी सरकार नहीं दे रही है।
– मजदूर कई बच्चों के साथ सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर, बिना पैसे, भोजन या दवाओं के अपने गृह राज्यों में पहुंचने के लिए बेताब हैं।
– प्रवासी श्रमिकों की दुर्दशा के अलावा, निचले तबके के 13 करोड़ परिवारों को भी सरकार ने नजरअंदाज किया। इनमें किरायेदार, किसान और भूमिहीन कृषि श्रमिक शामिल है।
– कई जगह कर्मचारियों को नौकरी से हटा दिया गया।
-6.3 करोड़ एमएसएमई में से 5.8 करोड़ और बड़े व्यवसायों सहित संगठित उद्योग, जो हमारे देश के विकास को बढ़ाते हैं। इनकी हालत बिगड़ गई।
– हम जैसे समान विचारधारा वाले दलों के नेताओं ने सरकार से गरीबों को नकदी हस्तांतरित करने की मांग की।
– सभी परिवारों को मुफ्त अनाज वितरित किया जाना चाहिए, प्रवासी यात्रियों को उनके घरों में वापस जाने के लिए बसों और ट्रेनों की व्यवस्था करनी चाहिए। हमने इस बात पर जोर दिया कि कर्मचारियों और नियोक्ताओं की सुरक्षा के लिए वेज असिस्टेंस और वेज प्रोटेक्शन फंड की स्थापना की जानी चाहिए।
– सपोर्ट देने की बात तो दूर, सरकार ने पब्लिक सेक्टर यूनिट की नीलामी और श्रम कानूनों को निरस्त कर दिया। इन पर संसद में बहस का एक ढोंग भी नहीं किया। है।
– कई प्रसिद्ध अर्थशास्त्री भविष्यवाणी कर रहे हैं कि 2020-21 तक कर्जा शून्य से 5 प्रतिशत तक की नकारात्मक वृद्धि के साथ समाप्त हो जाएगा। इसके परिणाम भयावह होंगे।
– वर्तमान सरकार के पास कोई समाधान नहीं है, यह चिंताजनक है।
– इस सरकार के पास गरीबों और कमजोर लोगों के लिए कोई सहानुभूति या दया नहीं है।
– सारी शक्ति अब एक कार्यालय, पीएमओ में केंद्रित है। संघवाद की भावना जो हमारे संविधान का एक अभिन्न हिस्सा है, सभी भूल गए हैं। संसद के दोनों सदनों या स्थायी समितियों को बैठक करने के लिए बुलाया जाएगा, इसके कोई संकेत भी सरकार नहीं दे रही है।
आपको बता दें कि सोनिया गांधी की ओर से बुलाई गई विपक्ष की इस बैठक में सपा, बसपा और आप ने दूरी बनाए रखी है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, एनसीपी नेता शरद पवार, डीएमके नेता एमके स्टालिन समेत 18 से ज्यादा राजनीतिक दल के नेताओं ने हिस्सा लिया।
सोनिया गांधी ने कहा मोदी सरकार ने महज चार घंटे के नोटिस पर लॉकडाउन का एलान किया गया। बाजवूद इसके हमने उनका सहयोग किया। लेकिन इसका परिणाम पूरी तरफ विफल रहा है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि 11 मार्च को WHO ने कोविड-19 को महामारी घोषित कर दिया था।
क्रमिक लॉकडाउन से अपेक्षित सफलता नहीं मिली है। देश की अर्थव्यवस्था गंभीर रूप से अपंग हो गई है। नामी अर्थशास्त्री ने बड़े पैमाने पर राजकोषीय प्रोत्साहन की तत्काल आवश्यकता की सलाह दी थी। वहीं 20 लाख करोड़ रुपए के पैकेज की 12 मई को प्रधानमंत्री ने घोषणा की। इसके बाद वित्त मंत्री ने अगले पांच दिनों में इसका विस्तृत रूप बताकर देश के साथ मजाक किया।
विपक्ष की इस बैठक की अध्यक्षता कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने की। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इस बैठक का आयोजन किया गया है। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने बैठक के शुरू होने की जानकारी भी सरकार के आधिकारिक ट्वीटर हैंडल पर साझा की है। बैठक में शामिल नेताओं के नामों की सूची भी उन्होंने साझा की।
बैठक में कांग्रेस की ओर से गुलाम नबी आजाद और एके एंटनी ने भी हिस्सा लिया। तृणमूल कांग्रेस की ओर से बैठक में डेरेक ओ ब्रायन मौजूद रहे। पीएम मोदी के पश्चिम बंगाल दौरे की वजह से ममता बनर्जी बैठक के शुरू में हिस्सा नहीं ले पाईं।
बैठक में राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) के अध्यक्ष अजित सिंह, एनसीपी प्रमुख शरद पवार और सीताराम येचुरी जैसे नेता भी मौजूद रहे। इसके अलावा जनता दल (सेक्युलर) से एचडी देवगौड़ा ने भी बैठक में हिस्सा लिया।