नई दिल्ली। उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगने के बाद कांग्रेस ने कहा कि केन्द्र सरकार के फैसले के खिलाफ कोर्ट में जाएगी, वहीं दूसरी तरफ बागी विधायकों ने भी उन्हें अयोग्य करार दिए जाने के स्पीकर के फैसले को चुनौती देने की घोषणा की है।
उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड में कई दिनों से चल रहे राजनीतिक गतिरोध के चलते तथा शनिवार को मुख्यमंत्री हरीश रावत की कथित रूप से एक स्टिंग ऑपरेशन सीडी जारी होने के बाद से वहां संवैधानिक संकट गहरा गया था। संकट की गंभीरता को देखते हुए रविवार को राष्ट्रपति ने केन्द्र सरकार की सिफारिशों को स्वीकार करते हुए उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन को मंजूरी दे दी थी। हालांकि विधानसभा को भंग न कर निलंबित रखा गया है।
नहीं मिली चिट्ठी, कहा विधानसभा अध्यक्ष ने
उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने रविवार शाम को कहा कि उन्हें राष्ट्रपति शासन संबंधी कोई भी चिट्ठी या नोटिस नहीं मिला है। ऐसे में सोमवार दोपहर को विधानसभा का सत्र होगा। इसके साथ ही उन्होंने सभी 9 बागी कांग्रेस विधायकों को अयोग्य करार दिए जाने के फैसले को भी सही बताया।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने कहा कि केन्द्र सरकार ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर लोकतंत्र का हत्या की है। कांग्रेस केन्द्र सरकार के इस फैसले को कोर्ट में चुनौती देगी। कांग्रेस ने कहा कि केंद्र सरकार ने धनबल और बाहुबल का दुरुपयोग कर पहले अरुणाचल में लोकतंत्र की हत्या की और अब उसने यही काम उत्तराखंड में किया है।
मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई कांग्रेस सरकार को गिराने के लिए केंद्र ने सोची-समझी साजिश के तहत राष्ट्रपति शासन लगाया है।
अब ये हैं राज्यपाल के पास विकल्प
पहलाः विधानसभा भंग नहीं की गई है अतः राज्य की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी भाजपा को बहुमत साबित कर सरकार बनाने का मौका दिया जाए।
दूसराः विधानसभा का कार्यकाल पूरा होने तक (अर्थात अगले साल तक) राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू रहे। उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड में 2017 में विधानसभा चुनाव होने हैं।
तीसरीः विधानसभा भंग कर राज्य में अगले चुनाव करवाए जाएं।
जेटली ने किया राष्ट्रपति शासन का समर्थन
केन्द्रीय मंत्री अरूण जेटली ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने का समर्थन करते हुए कहा कि राज्य में विधानसभा में 18 मार्च को बहुमत हारने के बाद से रावत सरकार अल्पमत में थी। साथ ही सीएम हरीश रावत खुद विधायकों की खरीद-फरोख्त में शामिल थे, जिसकी स्टिंग सीडी भी रिलीज की जा चुकी है। इसके अलावा विधानसभा अध्यक्ष दलबदल कानून का भी पक्षपातपूर्ण ढंग से इस्तेमाल कर रहे थे।
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