कांग्रेस ने हालांकि पाकिस्तान, आतंकवाद से बने लगातार खतरे और जम्मू एवं कश्मीर पर मोदी के रुख का समर्थन किया।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने एक बयान में कहा कि कांग्रेस निराशा के साथ कहती है कि ह्यूस्टन के समारोह में जनता की गर्मजोशी और विशेष मित्रता के बावजूद बहुप्रचारित मोदी-ट्रंप मुलाकात भारत की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर सकी।
शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री अमेरिकी बाजार को निर्यात के लिए वरीयता की सामान्यीकृत प्रणाली (जीएसपी) को बहाल करने, भारतीय पेशेवरों के लिए एच1-बी वीजा की संख्या घटाए जाने के कदम और वीजा शुल्क में भारी वृद्धि को वापस लेने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप को राजी नहीं कर पाए।
उन्होंने कहा कि व्यापार सौदा पूरा न हो पाने से उद्योग और निर्यातकों को निराशा हाथ लगी।
शर्मा ने कहा कि मोदी की अन्य राष्ट्राध्यक्षों व शासनाध्यक्षों से मुलाकात नियमित गतिविधि थी और यह यूएनजीए में मानक प्रक्रिया का हिस्सा थी।
उन्होंने कहा कि इनका कोई खास महत्व नहीं है, जैसा कि सरकार-भाजपा के प्रोपेगंडा में दावा किया गया है। प्रधानमंत्री के दौरे पर भाजपा का उत्साह हास्यास्पद है और इसमें जश्न का कोई कारण नहीं है। उन्होंने कहा कि यदि सरकार मोदी के दौरे के आंकलन को राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ साझा करे, तो कांग्रेस उसकी प्रशंसा करेगी।
शर्मा ने कहा कि यह सबसे उचित समय है कि सरकार वास्तविक मुद्दों पर ध्यान दे, और प्रोपेगंडा से बाज आए। कांग्रेस नेता ने हालांकि पाकिस्तान पर मोदी के रुख का समर्थन किया।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस प्रधानमंत्री और सरकार द्वारा पाकिस्तान और आतंकवाद के लगातार खतरे पर अपनाए गए रुख से पूरी तरह सहमत है।
हम भारत के दृढ़ रुख को दोहराने के लिए प्रधानमंत्री को बधाई देते हैं कि जम्मू एवं कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और इसका भारत के साथ विलय अंतिम और अपरिवर्तनीय है।
कांग्रेस ने सरकार के इस रुख का भी समर्थन किया कि जम्मू एवं कश्मीर से संबंधित सभी मुद्दे भारत का आंतरिक मामला है और इसमें किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की आवश्यकता नहीं है।
राज्यसभा में कांग्रेस के उपनेता शर्मा ने यूएनजीए में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के भड़काऊ बयानों की निंदा की।