CWC Meeting में सोनिया गांधी बोलीं- मोदी सरकार हर सही सलाह को सुनने से इनकार करती है
कोरोना वायरस महामारी ( Coronavirus Pandemic ) के बाद भारत-चीन सीमा विवाद ( india-china dispute ) को लेकर कांग्रेस कार्य समिति ( CWC meeting ) की बैठक।
लद्दाख ( india china standoff galwan valley ) में शहीद भारतीय सेना के 20 जवानों को श्रद्धांजलि दी गई और दो मिनट का मौन रखा गया।
कांग्रेस अध्यक्ष ( Congress President Sonia Gandhi ) ने केंद्र सरकार पर जमकर साधा निशाना, पीएम मोदी ( pm modi ) की विफलता गिनाईं।
Congress President Sonia Gandhi chairs CWC meeting
नई दिल्ली। कोरोना वायरस महामारी ( Coronavirus Pandemic ) के बाद भारत-चीन सीमा विवाद ( india-china dispute ) को लेकर मंगलवार को कांग्रेस कार्य समिति ( CWC meeting ) की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये बैठक हुई। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ( Congress President Sonia Gandhi ) की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और राहुल गांधी समेत पार्टी के कई नेता शामिल रहे। बैठक में सबसे पहले लद्दाख में एलएसी के पास गलवान घाटी ( india china standoff galwan valley ) में शहीद भारतीय सेना के 20 जवानों को श्रद्धांजलि दी गई और दो मिनट का मौन रखा गया।
Coronavirus ने भारत के सामने खड़ा किया एक और गंभीर संकट, रोजाना हर जगह बढ़ रही परेशानी इस दौरान सोनिया गांधी ने कहा, “यह कहा जाता है कि दुखद घटनाएं कभी अकेले नहीं आती। भारत एक भयावह आर्थिक संकट, एक भयंकर महामारी और अब चीन के साथ सीमाओं पर एक बड़े संकट का सामना कर रहा है। भाजपा की अगुवाई वाली राजग सरकार का कुप्रबंधन और गलत नीतियां इन संकटों का एक प्रमुख कारक हैं। इनके सामूहिक प्रभाव से जहां व्यापक पीड़ा और भय का माहौल है वहां देश की सुरक्षा और भूभागीय अखंडता पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “हमने पहले भी आर्थिक संकट पर गहन चर्चा की है। तब से यह आर्थिक संकट और भी गहरा गया है। मोदी सरकार हर सही सलाह को सुनने से इनकार करती है। वक़्त की मांग है कि बड़े पैमाने पर सरकारी खजाने से मदद, गरीबों के हाथों में सीधे पैसा पहुंचाना, सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यमों की रक्षा करना और उनका पोषण करना और व मांग को बढ़ाना व प्रोत्साहित करना चाहिए। इसके बजाय, सरकार ने एक खोखले वित्तीय पैकेज की घोषणा की, जिसमें सकल घरेलू उत्पाद का 1 प्रतिशत से कम ही राजकोषीय प्रोत्साहन था।”
देश पर मंडराते संकट के बारे में उन्होंने कहा, “वैश्विक बाजार में जब कच्चे तेल की कीमतें लगातार गिर रही हों, ऐसे समय में सरकार ने लगातार 17 दिनों तक निर्दयतापूर्वक पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि करके देश के लोगों पर पहले से लगी चोट और उसके दर्द को गहरा किया है। नतीजा यह है कि भारत की गिरती अर्थव्यवस्था 42 वर्षों में पहली बार तेजी से मंदी की ओर फिसल रही है। मुझे डर है की बेरोजगारी और बढ़ेगी, देशवासियों की आय कम होगी, मजदूरी गिरेगी व निवेश और कम होगा। रिकवरी में लंबा समय लग सकता है, और वह भी तब, जब सरकार अपनी व्यवस्था को ठीक करे और ठोस आर्थिक नीतियों को अपनाए।”
कांग्रेस अध्यक्ष ने बताया, “भारत में महामारी फरवरी में आयी। कांग्रेस ने सरकार को अपना पूरा समर्थन देते हुए लॉकडाउन 1.0 का समर्थन किया। शुरूआती हफ्तों के भीतर, यह स्पष्ट हो गया था कि सरकार लॉकडाउन से होने वाली समस्याओं का प्रबंधन करने के लिए बिलकुल तैयार नहीं थी। जिसका परिणाम वर्ष 1947-48 के बाद सबसे बड़ी मानवीय त्रासदी के रूप में सामने आया। करोड़ों प्रवासी मजदूर, दैनिक वेतन भोगी और स्व-नियोजित कर्मचारी की रोजी रोटी तबाह हो गयी। 13 करोड़ नौकरियों के ख़त्म हो जाने का अनुमान लगाया गया है। करोड़ों सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम शायद हमेशा के लिए बंद हो गए हैं।”
एक हफ्ते के भीतर सोनिया गांधी ने लिखी पीएम मोदी को दूसरी चिट्ठी पीएम मोदी ( pm modi ) पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री, जिन्होंने सारी शक्तियों और सभी प्राधिकरणों को अपने हाथों में केंद्रीकृत कर लिया था, उनके आश्वासनों के विपरीत महामारी लगातार बढ़ रही है। स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे में गंभीर कमियां उजागर हुई हैं। महामारी शायद अभी भी सबसे ऊंचे पायदान पर नहीं पहुंची है। केंद्र ने अपनी सारी जिम्मेदारियां राज्य सरकारों पर डाल पल्ला झाड़ लिया, लेकिन उन्हें कोई अतिरिक्त वित्तीय सहायता नहीं दी गयी है। वास्तव में, लोगों को यथासंभव अपनी स्वयं की रक्षा करने के लिए उनके हाल पर छोड़ दिया गया है। महामारी के कुप्रबंधन को मोदी सरकार की सबसे विनाशकारी विफलताओं में से एक के रूप में दर्ज किया जाएगा। मैं पार्टी के अपने सभी कार्यकर्ताओं को धन्यवाद देना चाहती हूं, जो अलग-अलग राज्यों में अपने जोखिम पर प्रवासी और अन्य प्रभावित लोगों को सहायता और मदद देने के लिए आगे आए।”
सीमा विवाद पर उन्होंने कहा, “चीन ( Ladakh border Issue ) के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अब हमारे सामने बड़े संकट की स्थिति है। इस तथ्य से इनकार नहीं किया जा सकता है कि अप्रैल-मई 2020 से लेकर अब तक, चीनी सेना ने पैंगोंग त्सो झील क्षेत्र और गलवान घाटी, लद्दाख में हमारी सीमा में घुसपैठ की है। अपने चरित्र के अनुरूप, सरकार सच्चाई से मुंह मोड़ रही है। घुसपैठ की ख़बरें और जानकारी 5 मई 2020 को आई। समाधान के बजाय, स्थिति तेजी से बिगड़ती गई और 15-16 जून को हिंसक झड़पें हुईं। 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए, 85 घायल हुए और 10 ‘लापता’ हो गए जब तक कि उन्हें वापस नहीं किया गया। प्रधानमंत्री के ब्यान ने पूरे देश को झकझोर दिया जब उन्होंने कहा कि किसी ने भी लद्दाख में भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ नहीं की।”
सोनिया गांधी ने आगे कहा, “राष्ट्रीय सुरक्षा और भूभागीय अखंडता के मामलों पर पूरा राष्ट्र हमेशा एक साथ खड़ा है और इस बार भी, किसी दूसरी राय का प्रश्न ही पैदा नहीं होता। कांग्रेस पार्टी ने सबसे पहले आगे बढ़कर हमारी सेनाओं और सरकार को अपना पूरा समर्थन देने के घोषणा की। हालांकि, लोगों में यह भावना है कि सरकार स्थिति को संभालने में गंभीर रूप से असफल हुई है। भविष्य का निर्णय आगे आने वाला समय करेगा लेकिन हम उम्मीद करते हैं कि हमारी क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए सरकार के द्वारा उठाया जाने वाला हर क़दम परिपक्व कूटनीति व मजबूत नेतृत्व की भावना से निर्देशित है।”
बैठक में पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने कहा कि संकट से निपटने के लिए जिस साहस और परिमाण और प्रयास की जरूरत है, उससे महामारी का सामना नहीं किया जा रहा है। एक और उदाहरण सीमा पर संकट के रूप में सामने है। इससे अगर दृढ़ता से नहीं निपटा गया तो गंभीर हालात पैदा हो सकते हैं।
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