2014 में क्या हुआ था? कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 7 जुलाई, 2014 को लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन को एक पत्र लिखकर सदन में पार्टी के नेता मलिकार्जुन खड़गे को विपक्ष का नेता पद का दर्जा देने की मांग की थी।
मोदी की जीत के बाद मुस्लिम वोटर्स ने तोड़ी चुप्पी, खुला खामोशी का राज सुमित्रा ने क्या दिया था जवाब? सुमित्रा ने इस पत्र के जवाब में 14 अगस्त, 2014 को यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे पत्र में कहा था कि विधानों और लोकसभा अध्यक्ष के निर्देशों (120 एवं 121) तथा पिछली परंपराओं पर विचार करने के बाद आपके अनुरोध को स्वीकार करना संभव नहीं है। पूर्व परंपराओं का पिछले करीब 60 साल में कई बार पालन किया गया जो कई पूर्व लोकसभा अध्यक्षों द्वारा किए गए निर्णयों पर आधारित हैं। हालांकि अपने निर्णय का बचाव करते हुए सुमित्रा ने कहा था कि उनका फैसला नियमों एवं परंपराओं पर आधारित है।
अगर नहीं जीते ये दल तो संसद से हो जाएंगे बाहर और खतरे में पड़ जाएंगी मान्यता इस बात का दिया था हवाला सुमित्रा महाजन ने एक नियम का हवाला देते हुए कहा था कि किसी पार्टी के नेता को विपक्ष का नेता घोषित करने के लिए उसके पास सदन की न्यूनतम 10 प्रतिशत सीटें होनी चाहिए। 2014 में गठित लोकसभा में किसी विपक्षी पार्टी के पास 55 सीटें नहीं थी।
पूर्ण बहुमत दिलाने में इन 16 राज्यों का अहम योगदान, हिमाचल में सबसे ज्यादा बढ़ा वोट शेयर विपक्ष का नेता पद की दावेदारी करने वाला कोई नहीं लोकसभा अध्यक्ष ने कहा था कि 1980 एवं 1984 में सदन में कोई विपक्ष का नेता नहीं था, क्योंकि किसी पार्टी के पास अपेक्षित संख्या नहीं थी। जानकारी के मुताबिक पहली, दूसरी, तीसरी, पांचवीं, छठी, सातवीं और आठवीं लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद रिक्त रहा। संस्थानों एवं आयोगों के प्रमुखों के चयन के लिए विपक्ष के नेता की जरूरत संबंधी सवाल को कानून एवं विधि मंत्रालय के पास भेजा गया है।