राजनीति

52 सांसदों की संख्‍या पर सिमटी कांग्रेस, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष का दर्जा मिलना मुश्किल

नियमानुसार विपक्ष का नेता पद के लिए 55 सांसदों का होना जरूरी
किसी भी विरोधी दल के पास नहीं हैंं नेता पद के लिए जरूरी संख्‍या में सांसद
कांग्रेस के केवल 52 प्रत्‍याशी ही जीत हासिल करने में हो पाए कामयाब

May 24, 2019 / 01:39 pm

Dhirendra

52 सांसदों की संख्‍या पर सिमटी कांग्रेस, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष का दर्जा मिलना मुश्किल

नई दिल्‍ली। आजाद भारत के इतिहास में आठवीं बार ऐसा होगा जब विपक्ष का नेता कोई नहीं होगा। ऐसा इसलिए कि इस पद का दर्जा हासिल करने के लिए जरूरी सांसदों की संख्‍या किसी भी एक विरोधी दल के पास नहीं है। ऐसे में 2014 की तरह इस बार भी विपक्ष का नेता को लेकर पेंच फंस सकता है। बता दें कि लोकसभा में विपक्ष का नेता पद हासिल करने के लिए किसी भी पार्टी के पास 55 सांसद होने चाहिए। जो न तो कांग्रेस के पास है न ही किसी अन्‍य दल के पास। इस बार कांग्रेस के सांसदों की संख्‍या 52 से आगे नहीं बढ़ पाई।
 

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2014 में क्‍या हुआ था?

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 7 जुलाई, 2014 को लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन को एक पत्र लिखकर सदन में पार्टी के नेता मलिकार्जुन खड़गे को विपक्ष का नेता पद का दर्जा देने की मांग की थी।
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सुमित्रा ने क्‍या दिया था जवाब?

सुमित्रा ने इस पत्र के जवाब में 14 अगस्त, 2014 को यूपीए अध्‍यक्ष सोनिया गांधी को लिखे पत्र में कहा था कि विधानों और लोकसभा अध्यक्ष के निर्देशों (120 एवं 121) तथा पिछली परंपराओं पर विचार करने के बाद आपके अनुरोध को स्वीकार करना संभव नहीं है। पूर्व परंपराओं का पिछले करीब 60 साल में कई बार पालन किया गया जो कई पूर्व लोकसभा अध्यक्षों द्वारा किए गए निर्णयों पर आधारित हैं। हालांकि अपने निर्णय का बचाव करते हुए सुमित्रा ने कहा था कि उनका फैसला नियमों एवं परंपराओं पर आधारित है।
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इस बात का दिया था हवाला

सुमित्रा महाजन ने एक नियम का हवाला देते हुए कहा था कि किसी पार्टी के नेता को विपक्ष का नेता घोषित करने के लिए उसके पास सदन की न्यूनतम 10 प्रतिशत सीटें होनी चाहिए। 2014 में गठित लोकसभा में किसी विपक्षी पार्टी के पास 55 सीटें नहीं थी।
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विपक्ष का नेता पद की दावेदारी करने वाला कोई नहीं

लोकसभा अध्यक्ष ने कहा था कि 1980 एवं 1984 में सदन में कोई विपक्ष का नेता नहीं था, क्योंकि किसी पार्टी के पास अपेक्षित संख्या नहीं थी। जानकारी के मुताबिक पहली, दूसरी, तीसरी, पांचवीं, छठी, सातवीं और आठवीं लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद रिक्त रहा। संस्थानों एवं आयोगों के प्रमुखों के चयन के लिए विपक्ष के नेता की जरूरत संबंधी सवाल को कानून एवं विधि मंत्रालय के पास भेजा गया है।

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