Babri Masjid मामले में सभी को बरी किए जाने पर कांग्रेस ने उठाए सवाल
विशेष सीबीआई अदालत ने बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले ( babari Masjid Case ) में सभी आरोपियों को बरी किया।
कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने एक बयान जारी कर फैसले पर दी टिप्पणी।
कहा- विशेष सीबीआई कोर्ट का फैसला साफ तौर से सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के भी प्रतिकूल है।
Congress GC Surjewala questions on Special CBI Court decision for acquitting all accused in Babri Masjid Demolition Case
नई दिल्ली। दशकों पुराने बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले ( babari Masjid Case ) में विशेष सीबीआई अदालत ने बुधवार को सभी आरोपियों को बरी कर दिया। इस फैसले के बाद तमाम तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। जहां भारतीय जनता पार्टी के खेमे में इस खबर से खुशियां मनाई जा रही हैं, कांग्रेस ने इस फैसले पर सवाल उठाए हैं।
विशेष सीबीआई अदालत में बाबरी मस्जिद मामले से जुड़ी सुनवाई की पूरी कहानी कांग्रेस के प्रवक्ता और राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने इस मामले पर बयान जारी कर कहा कि बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में सभी दोषियों को बरी करने का विशेष अदालत का निर्णय सुप्रीम कोर्ट के निर्णय व संविधान की परिपाटी से परे है। सुप्रीम कोर्ट की 5 न्यायाधीशों की खंडपीठ के 9 नवंबर 2019 के निर्णय के मुताबिक बाबरी मस्जिद को गिराया जाना एक गैरकानूनी अपराध था। पर विशेष अदालत ने सब दोषियों को बरी कर दिया। विशेष अदालत का निर्णय साफ तौर से सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के भी प्रतिकूल है।
सुरजेवाला ने अपने बयान में आगे लिखा, “पूरा देश जानता है कि भाजपा-आरएसएस व उनके नेताओं ने राजनैतिक फायदे के लिए देश व समाज के सांप्रदायिक सौहार्द को तोड़ना का एक घिनौना षडयंत्र किया था। उस समय की उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार भी सांप्रदायिक सौहार्द भंग करने की इस साजिश में शामिल थी। यहां तक कि उस समय झूठा शपथ पत्र देकर सुप्रीम कोर्ट तक को बरगलाया गया। इन सब पहलुओं, तथ्यों व साक्ष्यों को परखने के बाद ही सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद को गिराया जाना गैरकानूनी अपराध ठहराया था।”
सुरजेवाला यहीं नहीं रुके, उन्होंने आगे लिखा, “संविधान, सामाजिक सौहार्द व भाईचारे में विश्वास करने वाला हर व्यक्ति उम्मीद व अफेक्षा करता है कि विशेष अदालत के इस तर्कविहीन निर्णय के विरुद्ध प्रांतीय व केंद्रीय सरकारें उच्च अदालत में अपील दायर करेंगी तथा बगैर किसी पक्षपात या पूर्वाग्रह के देश के संविधान और कानून की अनुपालना करेंगी। यही संविधान और कानून की सच्ची परिपाटी है।”
आडवाणी-जोशी समेत बाबरी मामले पर फैसला, लेकिन 10 साल पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट का यह था आदेश गौरतलब है कि अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को गिराए गए विवादित ढांचे के मामले में विशेष सीबीआई कोर्ट ने बुधवार को अपना फैसला सुनाते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, उमा भारती, विनय कटियार समेत सभी 32 आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया।
विशेष जज एसके यादव ने 28 वर्षों से जारी इस मुकदमे के साथ ही अपने कार्यकाल का अंतिम फैसला सुनाते हुए कहा कि अयोध्या विध्वंस पूर्व नियोजित घटना नहीं थी। इस घटना के प्रबल साक्ष्य भी मौजूद नही हैं। अदालत ने माना है कि सीबीआई द्वारा लगाए गए आरोपों के खिलाफ ठोस सबूत मौजूद नहीं हैं। इस कार्य को कुछ अराजक तत्वों ने अंजाम दिया था।
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