छठी मईया व्रत तोहार…सोना सटकुनिया दो दीनानाथ
शहर के झाली तालाब और हनुमान ताल पर इस दौरान समाजजनों जहां जमकर आतिशबाजी की तो दूसरी तरफ व्रती और परिवार की महिलाए…पहिले पहलि हम कईनी, छठी मईया व्रत तोहार…सोना सटकुनिया दो दीनानाथ…केलवा के पात पर उगे लन सूरजदेव…जैसे गीत गुनगुनाती नजर आई। रविवार को उगते सूर्य को अघ्र्य देने के साथ ही व्रत पूर्ण होगा। इसके लिए व्रती पूरी रात भगवान सूर्य के उगने का इंतजार और उनकी आराधना के बाद सुबह ही उगते सूर्य को अघ्र्य देने के लिए पुन: जलाशय किनारे पहुंचें, उदय होते सूर्यदेव को अघ्र्य अर्पण करने के साथ ही व्रत पूर्ण हुआ।
शहर के झाली तालाब और हनुमान ताल पर इस दौरान समाजजनों जहां जमकर आतिशबाजी की तो दूसरी तरफ व्रती और परिवार की महिलाए…पहिले पहलि हम कईनी, छठी मईया व्रत तोहार…सोना सटकुनिया दो दीनानाथ…केलवा के पात पर उगे लन सूरजदेव…जैसे गीत गुनगुनाती नजर आई। रविवार को उगते सूर्य को अघ्र्य देने के साथ ही व्रत पूर्ण होगा। इसके लिए व्रती पूरी रात भगवान सूर्य के उगने का इंतजार और उनकी आराधना के बाद सुबह ही उगते सूर्य को अघ्र्य देने के लिए पुन: जलाशय किनारे पहुंचें, उदय होते सूर्यदेव को अघ्र्य अर्पण करने के साथ ही व्रत पूर्ण हुआ।
छठी मइया की कि पूजा
रविवार की सुबह हर्षोउल्लास भरे वातावरण में उत्तरभारतीय समाजजनों ने शहर के झाली तालाब और हनुमान ताल पहुंचकर उदयगामी सूर्य को अघ्र्य दिया। समाज के संजय कुमार और पुरण शर्मा ने बताया कि छठी मइया के पूजा के लिए व्रती महिलाओं ने तैयारी करते हुए चावल और मेवे से तैयार ठेकुआ प्रसाद बनाया गया। घर के मुखिया या फिर बड़े लड़के के द्वारा टोकरो और सुपडी में पूजन सामग्री सजाकर जलाशय तक पहुंचाने का कार्य किया गया, इनके पीछे-पीछे व्रती और परिवार के सदस्य भी जलाशय पहुंचे। रविवार को उदय होते हुए सूर्यदेव की पूजन वंदन कर अघ्र्य दिया गया।
रविवार की सुबह हर्षोउल्लास भरे वातावरण में उत्तरभारतीय समाजजनों ने शहर के झाली तालाब और हनुमान ताल पहुंचकर उदयगामी सूर्य को अघ्र्य दिया। समाज के संजय कुमार और पुरण शर्मा ने बताया कि छठी मइया के पूजा के लिए व्रती महिलाओं ने तैयारी करते हुए चावल और मेवे से तैयार ठेकुआ प्रसाद बनाया गया। घर के मुखिया या फिर बड़े लड़के के द्वारा टोकरो और सुपडी में पूजन सामग्री सजाकर जलाशय तक पहुंचाने का कार्य किया गया, इनके पीछे-पीछे व्रती और परिवार के सदस्य भी जलाशय पहुंचे। रविवार को उदय होते हुए सूर्यदेव की पूजन वंदन कर अघ्र्य दिया गया।