पढ़ें- भारत में लड़ा गया दुनिया का सबसे महंगा चुनाव, अमरीकी राष्ट्रपति चुनाव को भी पछाड़ा बीजेपी ने तोड़े सारे रिकॉर्ड 1980 से असतित्व में आई बीजेपी पहली बार 1984 में लोकसभा चुनाव लड़ी थी। उस चुनाव में पार्टी को केवल दो सीटें मिली थी। लेकिन, समय के साथ-साथ पार्टी का प्रदर्शन बेहतर होता गया और 2019 लोकसभा चुनाव में पार्टी ने 542 में से अकेले 303 सीटों पर जीत हासिल की। इस चुनाव में जहां बीजेपी ने सीटों के रिकॉर्ड तोड़े, वहीं खर्च के मामले में भी पार्टी ने सारे रिकॉर्ड तोड़ डाले। सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज ( CMS ) के मुताबिक, 2019 लोकसभा चुनाव दुनिया का सबसे महंगा चुनाव रहा। इस चुनाव में कुल 60 हजार करोड़ रुपए खर्च हुए हैं, जिसमें बीजेपी ने 27 हजार रुपए अकेले खर्च कर डाले। ये सभी पैसे अलग-अलग मदों में खर्च किए गए हैं। एक नजर अब तक के चुनावों के दौरान हुए खर्चों पर…
लोकसभा चुनाव के दौरान खर्च
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अब एक नजर विगत चार लोकसभा चुनावों पर डालते हैं और जानते हैं कि बीजेपी ने कब-कब कितने खर्च किए।
लोकसभा चुनाव- 2019: एक वोट पर खर्च हुए 700 रुपए
लोकसभा चुनाव में बीजेपी का खर्च
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सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज ने लोकसभा चुनावों के खर्चों पर एक रिसर्च प्रकाशित की है। इसके अनुसार लोकसभा चुनाव 2019 में कुल 60 हजार करोड़ रुपए पानी की तरह बहा दिए गए। इस लिहाज से देखें तो औसतन हर वोट के पीछे 700 रुपए खर्च किए गए हैं।
इन मदों में खर्च हुए पैसे सीएमएस की रिसर्च में यह भी बताया गया है कि 60 हजार करोड़ रुपए का खर्च किन-किन मदों में हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 लोकसभा चुनाव में वोटरों को 12 से 15 हजार करोड़ रुपये बांट दिए गए। ये पैसे कैश और कई बार खिलाने-पिलाने पर खर्च हुए हैं। जबकि उम्मीदवारों ने अपने विज्ञापनों पर करीब 20 से 25 हजार करोड़ रुपए खर्च कर दिए। इसके अलावा अपने आंकड़े खरीदने आदि पर प्रत्याशियों ने करीब 5 से 6 हजार करोड़ रुपये लगा दिए। इसके अलावा प्रत्याशियों ने चुनाव आयोग की अनुमति से किए जाने वाले खर्चों के हिसाब से 10 से 12 हजार करोड़ रुपए खर्च कर डाले। वहीं, वाहनों में पेट्रोल आदि व छोटे-छोटे दूसरे खर्चों के तौर पर भी करीब सबने पांच से छह करोड़ रुपए खर्च कर डाले। इन आंकड़ों पर जोड़ने पर यह राशि करीब 55 से 60 हजार करोड़ पहुंच जाती है।
एक उम्मीदवार को 70 लाख रुपए खर्च करने की अनुमति गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में चुनाव आयोग एक उम्मीदवार को 70 लाख रुपए चुनाव प्रचार में खर्च करने की अनुमति देता है। ऐसे में अगर इस बार मैदान में उतरे सभी प्रत्याशियों का आंकड़ा निकाल लें तब भी यह आंकड़ा 12 हजार करोड़ से आगे नहीं जाता। लेकिन इन चुनाव में उम्मीदवारों ने अपनी वैध सीमा से करीब पांच गुना पैसा ज्यादा खर्च किए हैं।