दो हफ्ते में जमकर घमासान
जम्मू-कश्मीर में पीडीपी-बीजेपी सरकार गिरे महज दो हफ्ते बीते हैं, लेकिन यहां राजनीतिक घमासान जमकर चल रहा है। सूबे के सबसे बड़े दल पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) संभावित टूट की तरफ बढ़ रही है। पीडीपी के तीन विधायकों के खुलकर महबूबा मुफ्ती के खिलाफ जाने के बाद करीब 15 विधायक, पार्टी के क्रियाकलापों से असंतुष्ट बताए जा रहे हैं। माना जा रहा है कि ये सभी विधायक भाजपा के संपर्क में हैं और भाजपा से मिलकर सरकार बना सकते हैं।
ये है मास्टर माइंड
पीडीपी से बगावत करने वाले विधायकों का मास्टर माइंड पाटन से विधायक इमरान रजा अंसारी को बताया जा रहा है। इसी के नेतृत्व में करीब 18 विधायक महबूबा मुफ्ती के खिलाफ मोर्चा खोल चुके हैं। दरअसल अंसारी ने महबूबा पर परिवारवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाकर इस आग को हवा दी है। इस बगावत में अंसारी को लगातार पीडीपी के विधायकों का समर्थन मिल रहा है।
महबूबा को हटाने की तैयारी
पीडीपी में बढ़ते असंतोष के चलते अब बागी विधायक चाहते हैं कि विधायक दल के नेता के तौर पर महबूबा को पद से हटाया जाए और इसकी जगह चुनाव के जरिये किसी अन्य नेता चुना जाए। बागी विधायक इस मंसूबे में कामयाब होते हैं तो जल्द ही पीडपी में बड़ी दरार सामने आ जाएगी, जिसके पूरा फायदा भारतीय जनता पार्टी को मिलेगा क्योंकि भाजपा इन बागी विधायकों को हर हाल में साधने में जुटी है। पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेस के नेता उमर अबदुल्ला ने ट्वीट किया है कि ” क्या महबूबा मुफ्ती ने राज्यपाल वोहरा से विधानसभा भंग करने की सिफारिश नहीं करके ऐतिहासिक भूल की है ? जबकि संविधान के अनुसार राज्यपाल उनकी सलाह को मानने को लेकर बाध्य हैं और वहीं वे अपनी पार्टी को इस समय जारी खरीद-फरोख्त से बचा सकती थीं।”
कई विधायकों को किया नजरअंदाज
जम्मू-कश्मीर के एक अखबार में छपी बातचीत की माने तो जादीबल से पीडीपी विधायक आबिद अंसारी ने कहा है कि पीडीपी में सबकुछ ठीक नहीं है। यहां ऐसे कई विधायक हैं जिन्हें पिछले तीन साल में जरा सी भी तवज्जों नहीं दी गई है, ऐसे में इनकी नाराजगी स्वभाविक है। उन्होंने कहा कि महबूबा निजी संबंधों के चलते हारे हुए विधायकों को ज्यादा तवज्जो दे रही है, जिसने जीत कर आए कई विधायकों के असंतोष का कारण बना दिया है।
ये है सीटों का गणित
जम्मू-कश्मीर विधावनसभा में कुल 87 सदस्य हैं। इनमें पीडीपी के 28, भाजपा के 25, कांग्रेस के 12, नेशनल कांफ्रेस के 15, पीपुल्स कांफ्रेस के 2 और बाकी निर्दलीय विधायक हैं। ऐसे मे यदि पीडीपी के 15 विधायक टूट जाते हैं तो भाजपा, पीपुल्स कांफ्रेस के दो विधायकों और कुछ निर्दलियों के साथ बहुमत के 44 का आंकड़ा आसानी से हासिल कर सकती है।