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बीजेपी नेता तरुण विजय ने इस खोज के लिए भारतीय सेना को बधाई देते हुए नसीहत भी दी है। उन्होंने लिखा बधाई हो, हमें आप पर हमेशा गर्व है। भारतीय सेना की माउंटनिंग अभियान दल को सलाम। आप भारतीय हैं कृपया येति को बीस्ट ना कहें। उनके प्रति सम्मान दिखाइए। अगर आप कहें कि वह एक ‘स्नोमैन’ हैं।
उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ( akhilesh yadav ) ने इसे अच्छे दिन से जोड़ दिया। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि ‘येति’ से ज्यादा मायावी तो अच्छे दिन हैं।
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जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम और नेशनल कॉफ्रेंन्स के नेता उमर अब्दुल्ला ( Omar Abdulla ) ने हिममानव को लेकर सरकार पर चुटकी ली है। उन्होंन ट्विटर पर लिखा कि बीजेपी जरूर इस दिशा में काम कर रही होगी कि कैसे इसका इस्तेमाल चुनावी कैंपेन में किया जाए।
भारतीय सेना ने क्या दावा किया?
बता दें कि भारतीय सेना के अतिरिक्त सूचना महानिदेशालय ने सोमवार को ट्वीट किया, ‘पहली बार, भारतीय सेना के पर्वतारोहण अभियान दल ने मकालू बेस कैंप के करीब हिममानव ‘येति’ के रहस्यमयी पैरों के निशान देखे हैं। इस मायावी हिममानव को इससे पहले सिर्फ मकालू-बरुन नेशनल पार्क में देखा गया है।’
कहां है मकालू बेस कैंप
मकालू-बरुन राष्ट्रीय उद्यान नेपाल के लिंबुवान हिमालय क्षेत्र में स्थित है। यह दुनिया का एकमात्र संरक्षित क्षेत्र है जिसमें 26,000 फुट से अधिक उष्णकटिबंधीय वन के साथ-साथ बर्फ से ढकी चोटियां हैं।
कौन हैं येति
येति एक वानर जैसा प्राणी है, जो औसत मानव से बहुत अधिक लंबा और बड़ा है। यह मोटे फर में ढका हुआ होता है और माना जाता है कि यह हिमालय, साइबेरिया, मध्य और पूर्वी एशिया में रहता है। ऐसा कहा जाता है कि हिममानव के भारी भरकम शरीर की वजह से ही इन्हें येति नाम दिया गया। नेपाली शब्द येति का मतलब मतलब चट्टानों का जीव होता है। दावा ये भी किया जाता है कि इंसानों की तरह चलने वाला यह प्राणी सिर्फ रात में ही बाहर निकलता है। इस प्राणी को आमतौर पर एक किंवदंती के रूप में माना जाता है क्योंकि इसके अस्तित्व का कोई ठोस सबूत नहीं है।
तीन साल पहले भी देखे गए पैरों के निशान
इससे पहले 2016 में भी भूटान में स्टीव बैरी नाम के युवक येती के पैरों के निशान देखने का दावा किया था। बाद में उन पैरों के निशान की जांच हुई। वैज्ञानिकों ने भी दावा किया था कि निशान किसी जानवर के नहीं हैं।