भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय ने हाई कोर्ट से मांग की है कि वक्फ एक्ट 1995 के तहत कोई भी नियम, अधिसूचना, आदेश अथवा निर्देश हिंदू अथवा अन्य गैर इस्लामी समुदायों की संपत्तियों पर लागू न हो। उपाध्याय का कहना है कि वक्फ कानून में वक्फ की संपत्ति को विशेष दर्जा दिया गया है, दूसरी तरफ ट्रस्ट, मठ और अखाड़े की संपत्तियों को वैसा दर्जा प्राप्त नहीं है।
भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय ने कहा है कि वक्फ बोर्ड को किसी भी प्रापर्टी को वक्फ संपत्ति दर्ज करने की असीमित शक्ति दी गई है। इससे हिंदू और अन्य गैर इस्लामिक समुदायों के साथ भेदभाव होता है। हिंदू और गैर इस्लामिक समुदाय को अपनी निजी और धार्मिक संपत्तियों को वक्फ बोर्ड की ओर से जारी वक्फ सूची में शामिल होने से बचाने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है।
अश्विनी उपाध्याय ने याचिका में मांग है कि कोर्ट घोषित करे कि दो धार्मिक समुदायों के बीच के संपत्ति विवाद को सिर्फ अदालतों से ही निपटाए जाएंगे। इस तरह के विवाद अर्ध न्यायिक मंच तय नहीं कर सकते। भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय ने कहा है कि पिछले 10 वर्षों में वक्फ बोर्ड ने दूसरी संपत्तियों पर अतिक्रमण कर वक्फ संपत्ति घोषित किया है। वक्फ मैनेजमेंट सिस्टम ऑफ इंडिया के आंकड़ों की मानें तो जुलाई, 2020 तक कुल 6,59,877 संपत्तियां यानी करीब आठ लाख एकड़ जमीन वक्फ के नाम हैं। वक्फ बोर्ड को अवैध कब्जे हटाने का विशेष अधिकार है, दूसरी तरफ ट्रस्ट, मठ, मंदिर, अखाड़ा आदि धार्मिक संपत्तियों के प्रबंधक, सेवादार, महंत और प्रबंधन व प्रशासन देखने वालों को इस तरह का अधिकार और शक्तियां नहीं मिली हुई हैं।