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दिल्ली दरबार सुस्त! अटके पड़े हैं भाजपा और कांग्रेस नेताओं के मामले

आगामी विधानसभा चुनाव से पहले दिल्ली दरबार पड़ा सुस्त! भारतीय जनता पार्टी से लेकर कांग्रेस तक, पंजाब से लेकर उत्तराखंड तक नेता कर रहे शीर्ष नेतृत्व के फैसले का इंतजार

Jul 02, 2021 / 12:39 pm

धीरज शर्मा

BJP and Congress local leaders are waiting for important Decision by Party top leaders in Delhi
नई दिल्ली। राजनीतिक दलों की सियासत का रास्ते भले ही दिल्ली दरबार से तय होता हो, लेकिन इन दिनों दिल्ली दरबार कुछ सुस्त नजर आ रहा है। फिर चाहे मामला भारतीय जनता पार्टी ( BJP ) के नेताओं से जुड़ा हो या फिर कांग्रेस ( Congress ) के नेताओं से। दोनों पार्टियों के नेताओं के मामले दिल्ली दरबार में फैसलों के इंतजार में अटके पड़े हैं।
दरअसल अगले वर्ष पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होना है। इसकी गहमा गहमी अभी से राज्यों में देखने को मिल रही है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत दो दिन से दिल्ली में हैं। शाह और नड्डा से मुलाकात के बाद भी वे अब तक प्रदेश नहीं लौटे। वहीं पंजाब कांग्रेस में कलह का मसला कई बैठकों के बाद भी अब तक नतीजे पर नहीं पहुंचा है।
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सत्तारूढ़ भाजपा और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस से जुड़े अहम सियासी फैसले दिल्ली दरबार में अटके हुए हैं। सबकी निगाहें दिल्ली पर लगी हैं। गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को गुरुवार की शाम देहरादून लौटना था। लेकिन उनका कार्यक्रम टल गया।
सीएम खेमे की मानें तो तीरथ सिंह रावत उपचुनाव में जाएंगे। हालांकि अब तक केंद्र की ओर से दिशा निर्देशों को लेकर स्थिति साफ नहीं है। माना जा रहा है कि दो-तीन दिन में पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व कोई बड़ा फैसला ले सकता है।
उधर, कांग्रेस में भी नेता प्रतिपक्ष के नाम के एलान का इंतजार है। पार्टी के वरिष्ठ नेता हरीश रावत व प्रीतम सिंह समेत अन्य विधायकों ने केंद्रीय नेताओं के साथ जमकर मंथन किया। लेकिन फैसला दिल्ली दरबार यानी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर छोड़ दिया है।
फैसले तक प्रीतम दिल्ली में ही जमे हैं। प्रीतम नेता प्रतिपक्ष बने तो उन्हें कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष का पद छोड़ना होगा। ऐसे में केंद्रीय नेतृत्व के सामने प्रदेश अध्यक्ष के नाम पर मुहल लागने की जिम्मेदारी है।
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पंजाब का मसला भी अटका
दिल्ली दरबार में कांग्रेस का एक और बड़ा मसला अटका हुआ है। वो है पंजाब कांग्रेस में कलह। हालांकि ये नई नहीं है, लेकिन चुनाव से पहले इसको निपटाना अब दिल्ली दरबार के लिए बहुत जरूरी हो गया है। कैप्टन अमरिंदर से लेकर नवजोत सिंह सिद्धू तक तमाम छोटे बड़े नेता दिल्ली दरबार में हाजिरी लगा चुके हैं।
अब हर किसी को इस मुद्दे पर केंद्रीय नेतृत्व की ओर से फैसले का इंतजार है।
राहुल से मिल सकते हैं अमरिंदर
सिद्धू के दिल्ली दौरे के बाद सीएम अमरिंदर भी एक्टिव हो गए हैं। गुरुवार को उन्होंने लंस डिप्लोमेसी के जरिए नेताओं और विधायकों से मन की बात कही। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि जल्द ही कैप्टन राहुल गांधी से मुलाकात कर सकते हैं।
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ये तो नहीं सुस्ती की वजह
दरअसल विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक दलों का नेतृत्व किसी भी तरह की गलती नहीं चाहता है। स्थानीय स्तर पर चल रही गुटबाजी से निपटने और सभी नेताओं को साथ लेकर चलने की नीति के चलते फैसलों में देरी हो रही है। जल्दबाजी में केंद्रीय नेतृत्व एक को खुश और दूसरे को नाराज कर चुनाव में किसी भी तरह के नुकसान का रिस्क नहीं ले सकता।

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