पढ़ें- मोदी से लेकर राहुल तक हैं जीत में इनसे पीछे, इम महिला उम्मीदवार के नाम दर्ज है सबसे ज्यादा वोट पाने का रिकॉर्ड सबसे पहले भाजपा के उन दिग्गज नेताओं पर नजर डालते हैं, जिनकी सीटें पार्टी ने इस लोकसभा चुनाव में बदल दी हैं।
पार्टी | उम्मीदवार नाम | पूर्व सीट | वर्तमान सीट | 2014 में परिणाम |
भाजपा | नरेन्द्र तोमर | ग्वालियर, मध्य प्रदेश | मुरैना, मध्य प्रदेश | जीत |
भाजपा | मेनका गांधी | पीलीभीत, उत्तर प्रदेश | सुल्तानपुर, उत्तर प्रदेश | जीत |
भाजपा | वरुण गांधी | सुल्तानपुर, उत्तर प्रदेश | पीलीभीत, उत्तर प्रदेश | जीत |
भाजपा | गिरिराज सिंह | नवादा, बिहार | बेगूसराय, बिहार | जीत |
भाजपा के इन चार सांसदों में से तीन केन्द्रीय मंत्री हैं। इसके बावजूद पार्टी ने इनकी सीटें बदल दीं। वहीं, मेनका गांधी और वरुण गांधी के बीच सीटों की अदला-बदली की गई है। बेगूसराय और मुरैना की सीट भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। बेगूसराय में गिरिराज सिंह का कन्हैया कुमार से सीधा मुकाबला है। मीडिया रिपोर्ट्स और विश्लेषकों के मुताबिक, इस सीट पर दोनों के बीच कांटे की टक्कर है। हालांकि, कहा यह भी जा रहा है कि कन्हैया कुमार का पलड़ा भारी है। वहीं, नरेन्द्र सिंह तोमर के सामने कांग्रेस ने रामनिवास रावत को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। रामनिवास को ज्योतिरादित्य सिंधिया का करीबी नेता माना जाता है। वे मध्यप्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष भी हैं। मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव परिणाम को देखते हए भाजपा के लिए यह बड़ी चुनौती हो सकती है।
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पार्टी | उम्मीदवार नाम | पूर्व सीट | वर्तमान सीट | 2014 में परिणाम |
कांग्रेस | राज बब्बर | गाजियाबाद | फतेहपुर सीकरी | हार |
कांग्रेस | भूपेन्द्र सिंह हुड्डा | रोहतक | सोनीपत | चुनाव नहीं लड़े |
कांग्रेस | शीला दीक्षित | पूर्वी दिल्ली | उत्तर पूर्वी | चुनाव नहीं लड़ीं |
कांग्रेस | जयप्रकाश अग्रवाल | उत्तर-पूर्वी दिल्ली | पूर्वी दिल्ली | हार |
भाजपा ने जहां जीते हुए उम्मीदवारों की सीटें बदली हैं। वहीं, ‘सेफ जोन’ में रहते हुए कांग्रेस ने उन दिग्गजों की सीट बदल दी है जो या तो चुनाव हार गए या फिर काफी समय बाद चुनाव लड़ रहे हैं। राज बब्बर पिछली बार गाजियाबाद से चुनाव लड़े थे, लेकिन भाजपा के जनरल वीके सिंह से वो हार गए। वहीं, उत्तर पूर्वी दिल्ली सीट से भाजपा के मनोज तिवारी चुनाव जीते थे। जय प्रकाश अग्रवाल तीसरे पायदान पर रहे थे। शीला दीक्षित आखिरी बार 1998 में पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट से चुनाव लड़ी थीं, लेकिन वह हार गई थीं। वहीं, भूपेन्द्र सिंह हुड्डा रोहतक से चुनाव जीतते थे, लेकिन मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने अपने बेटे दीपेन्द्र हुड्डा को इस सीट से सांसद बनाया और अब खुद सोनीपत से चुनाव लड़ने जा रहे हैं। कुल मिलाकर दोनों पार्टियों के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो भाजपा ने बड़ा रिस्क लिया है, क्योंकि उसने जीते हुए सांसदों की सीटें बदली हैं। जबकि, कांग्रेस ने ‘सेफ गेम’ जोन में है।