एलजेपी ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए इसकी घोषणा की है। इसमें बताया गया है कि पशुपति पारस द्वारा पार्टी के राष्ट्रीय, प्रदेश एवं पार्टी के विभिन्न प्रकोष्ठों की कमेटी को तत्काल प्रभाव से भंग किया जाता है। साथ ही नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्यों के नामों की घोषणा की जा रही है।
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पशुपति पारस द्वारा घोषित की गई नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी में आठ सदस्यों को शामिल किया गया है। इसमें चौधरी महबूब अली कैसर (राष्ट्रीय उपाध्यक्ष), सुनीता शर्मा (राष्ट्रीय उपाध्यक्ष), वीणा देवी (राष्ट्रीय उपाध्यक्ष), रामजी सिंह (राष्ट्रीय महासचिव), प्रिंस राज (राष्ट्रीय महासचिव), संजय सराफ (राष्ट्रीय महासचिव), चंदन सिंह (राष्ट्रीय महासचिव) और विनोद नागर (राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष) शामिल हैं।
दोनों पक्षों ने चुनाव आयोग में की शिकायत
एलजेपी के अंदर उपजे विवाद का मामला चुनाव आयोग तक पहुंच गया है। बीते दिन शुक्रवार को चिराग पासवान के नेतृत्व वाली एलजेपी के एक प्रतिनिधिमंडल ने चुनाव आयोग से शिकायत की और पशुपति पारस के नेतृत्व वाली पार्टी के किसी भी दावे पर फैसला लेने से पहले उनका पक्ष जानने का आग्रह किया।
उन्होंने अपना दावा पेश करते हुए कहा कि 2019 में पांच साल के लिए उन्हें एलजेपी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया था। मैं अपने दावे की पुष्टि के लिए जरूरी दस्तावेज भी पेश करूंगा। चिराग के मुताबिक, पशुपति पारस को सिर्फ 9 राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्यों ने अध्यक्ष चुना, जबकि LJP में 90 से ज्यादा राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य हैं।
वहीं, पशुपति के नेतृत्व वाले गुट ने चुनाव आयोग को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें दावा किया है कि पटना में पार्टी कार्यकारिणी के 75 सदस्यों की बैठक में पारस को राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना है और फिर एक नई कार्य समिति का गठन किया गया है।
एलजेपी में वर्चस्व को लेकर मचा बवाल
गौरतलब है कि बीते दिनों पारस गुट ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिडला को पत्र लिखकर उन्हें एलजेपी का संसदीय दल का नेता चुनने का आग्रह किया था, जिसे स्वीकार कर लिया गया और मान्यता दे दी गई। इसके बाद पारस ने चिराग को अध्यक्ष पद से भी बेदखल कर दिया था। जिसे चिराग ने पार्टी के संविधान के खिलाफ बताया था।
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चिराग ने चाचा पशुपति पारस के समर्थन में खड़े पांचों सांसदों को पार्टी से निलंबित कर दिया था। इसके बाद से पार्टी के अंदर में बवाल मचा है और आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। एलजेपी के अंदर मचे सियासी घमासान के लिए आरजेडी ने नीतीश कुमार को जिम्मेदार ठहराया है। आरजेडी का आरोप है कि जेडीयू ने चिराग का राजनैतिक करियर खत्म करने की साजिश रचि है।
बता दें कि पिछले साल संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान ने एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ा था। चिराग के इस फैसले को लेकर पार्टी के तमाम नेताओं ने नाराजगी जाहिर की थी। चिराग ने नीतीश कुमार के खिलाफ जमकर प्रचार किया था।