जगन्नाथ मिश्रा शुरू से ही राजनीति में नहीं थे। राजनीति में अपना करियर शुरू करने से पहले मिश्रा बिहार विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर भी रहे। हालांकि बाद में उन्होंने राजनीति की तरफ अपना रुख कर लिया और यहां पर उन्हें जबरदस्त कामयाबी भी मिली।
अरुण जेटली की सेहत में नहीं हो रहा सुधार, अब लिया जा रहा इस चीज का सहारा जगन्नाथ मिश्रा के काम को देखते हुए कांग्रेस ने उन्हें 90 के दशक में केंद्रीय कैबिनेट में जगह दी थी। बिहार के इस दिग्गज नेता के निधन पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी दुख जताया है।
आपको बता दें कि देवघर चारा घोटाला केस में कोर्ट ने लालू प्रसाद यादव को जहां दोषी करार दिया वहीं जगन्नाथ मिश्रा का बरी कर दिया था। जगन्नाथ मिश्रा एक जननायक के रूप में उभरे। मिश्रा को बिहार की जनता का जबरदस्त समर्थन और प्यार मिला। यही वजह रही कि वह एक नहीं, दो नही बल्कि तीन बार बिहार के मुख्यमंत्री बने।
जगन्नाथ मिश्रा पहली बार 1975 में बिहार के मुख्यमंत्री बने। इसके बाद बिहार की जनता ने 1980 में दोबार उन पर भरोसा जताया और बिहार की कमान सौंपी। आखिरी बार 1989 में वे तीसरी बार मुख्यमंत्री बने, हालांकि इस बार उनकी सत्ता सिर्फ वर्ष 1990 तक ही रही।
यानी कुछ महीने ही उन्होंने बतौर मुख्यमंत्री कमान संभाली। उनकी लोकप्रियता और विजन को देखते हुए केंद्र की कांग्रेस सरकार ने उन्हें अपनी कैबिनेट में स्थान दिया और वह कैबिनेट मंत्री भी रहे।