नई दिल्ली। बिहार धानसभा चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मियां तेज हो चुकी है। कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल ( RJD ) एक बार फिर महागठबंधन ( Grand Alliance ) बनाकर सत्ता में वापसी करने की तैयारी कर रहे हैं। हालांकि इस महागठबंधन को बनाए रखना दोनों दलों के लिए चुनौती से कम नहीं है। शुरुआती दौर में ही जीतन राम मांझी ( Jitan Ram Manjhi ), उपेन्द्र कुश्वाह ( Upendra Kushwaha ) जैसे नेता आंख दिखा रहे हैं।
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बिहार में मुख्यमंत्री नीतिश कुमार के विजय रथ को रोकने के लिए कांग्रेस और राजद ने कोशिश शुरू कर दी है। इसके तहत कांग्रेस के कोषाध्यक्ष अहमद पटेल की अध्यक्षता में एक वर्चुअल बैठक हो चुकी है। इस बैठक में सैद्धांतिक तौर पर जनता दल (यू) और भाजपा के खिलाफ संयुक्त महागठबंधन उतारने का निर्णय किया गया है। इसमें कांग्रेस और राजद के अलावा आरएलएसपी, हिंदुस्तान अवामी पार्टी और विकासशील इंसान पार्टी का शामिल होना तय है। वहीं वाम दलों को भी इसमें शामिल करने को लेकर चर्चा चल रही है। हालांकि महागठबंधन के स्वरूप और चुनावी रणनीति तय करने के लिए एक समन्वय समिति का गठन किया जाना है।
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यह है चुनौती
राजद प्रमुख तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर चुनाव में उतारना चाहती है। जबकि मांझी, कुशवाह जैसे वरिष्ठ नेता उनकी सलाह से पहले किसी को भी मुख्यमंत्री का चेहरा बनाने को राजी नहीं है। इन नेताओं का कहना है कि महागठबंधन की समन्वय समिति ही इसका निर्णय करें। मांझी का पूरा जोर समिति गठन को लेकर बना हुआ है। इसके साथ ही तीनों छोटे दल अधिक से अधिक सीट लेने के लिए दबाव की रणनीति बनाने लग गए हैं।
लोकसभा की हार
2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा, जनता दल (यू) और लोकजनशक्ति पार्टी साथ आए। इस दौरान मोदी लहर के साथ इस गठबंधन का फायदा भी मिला और बिहार की 40 में 39 सीट पर कांग्रेस-राजद का सफाया हो गया।
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फ्लैशबैक
2015 में विधानसभा चुनाव में जनता दल यू ने कांग्रेस और राजद के साथ चुनाव लड़ा और सरकार बनाई। बाद में सीएम नीतिश कुमार ने कांग्रेस-राजद का साथ छोड़ दिया। जबकि भाजपा का समर्थन हासिल कर सरकार बरकरार रखी।