विशेषज्ञों की मानें तो बाबुल सुप्रियो ने राजनीति से अचानक सन्यास लेने का ऐलान करके भाजपा से अपनी नाराजगी जताई है। वैसे, सूत्रों की मानें तो उनके राजनीति से सन्यास लेने के पीछे कई और वजहें भी हो सकती हैं। राजनीति से सन्यास के ऐलान के बाद भाजपा नेतृत्व बाबुल सुप्रियो को मनाने में जुट गया है। रविवार को भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा की सुप्रियो के साथ एक घंटे की अहम बैठक हुई। बैठक में नड्डा ने सप्रियो को अपने फैसले पर फिर से विचार करने पर अनुरोध किया। सुप्रियो की आज शाम को पार्टी नेतृत्व के साथ एक और बैठक होगी। इसके बाद वह सन्यास पर अंतिम फैसला ले सकते हैं।
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आसनसोल से दो बार के सांसद सुप्रियो उन कई मंत्रियों में शामिल हैं, जिन्हें सात जुलाई को एक बड़े फेरबदल के तहत केंद्रीय मंत्रिपरिषद् से हटा दिया गया था। पिछले विधानसभा चुनाव में उन्होंने तृणमूल कांग्रेस के अरूप बिस्वास के खिलाफ विधानसभा चुनाव लड़ा और उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।
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रिपोर्ट में पार्टी सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि बंगाल यूनिट के अध्यक्ष दिलीप घोष के साथ विधानसभा चुनाव के पहले से ही अनबन है। जब उन्हें मंत्रिपरिषद से भी हटा दिया गया तो उन्होंने यह फैसला लिया। अगर सुप्रियो लोकसभा की सदस्यता से भी इस्तीफा देते हैं तो भाजपा के लिए यह दोहरा झटका होगा। बीते महीने भाजपा उपाध्यक्ष का पद छोड़ टीएमसी में दोबारा वापसी करने वाले मुकुल रॉय के चलते पहले ही बीजेपी को नुकसान हुआ है।