राजनीति

केजरीवाल के ये 5 करीबी जो कभी खड़े थे साथ, लेकिन शपथ ग्रहण से रहे गायब

Delhi CM Arvind Kejriwal Oath Ceremony: अरविंद केजरीवाल बने दिल्ली के तीसरे मुख्यमंत्री
दिल्ली के रामलीला मैदान में ली शपथ
शपथ ग्रहण समारोह में हजारों की संख्या में पहुंचे समर्थक

Feb 16, 2020 / 03:23 pm

Shivani Singh

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नई दिल्ली। आप आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल (Delhi CM Arvind Kejriwal Oath Ceremony ) ने आज दिल्ली के तीसरे मुख्यमंत्री के तौर पर पद की शपथ ली। केजरीवाल के अलावा मनीष सिसोदिया, गोपाल राय, सत्येंद्र जैन, कैलाश गहलोत, इमरान हुसैन और राजेंद्र पाल गौतम को मंत्री पद खी शपथ दिलाई गई ली। केजरीवाल ने उसी रामलीला मैदान में शपथ ली, जहां से उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन छेड़ा था।

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अरविंद केजरीवाल के शपथ ग्रहण समारोह में बड़ी संख्या में अतिथि और समर्थक पहुंचे। लेकिन कुछ ऐसे चेहरे भी हैं जो इस शपथ ग्रहण में मौजूद नहीं थे। हालांकि ये लोग केजरीवाल के संघर्ष के साथी रहे हैं। तो आइए जानते हैं ये पांच लोग कौन हैं जो कभी केजरीवल के दोस्त थे लेकिन आज वे नदारद हैं-

आशुतोष

पत्रकार से नेता बने आशुतोष कभी आम आदमी पार्टी से जुड़े थे। वे पार्टी के प्रमुख लोगों में से एक थे। उन्होंने 2014 में आप की ओर से लोकसभा चुनाव भी लड़ा था लेकिन वह हार गए थे। लेकिन तब भी वह आप के साथ हर मोड़ पर खड़े रहे। वह पार्टी का ऐसा चेहरा थे जो केजरीवाल के साथ हर समय था। लेकिन अगस्त 2018 में वे पार्टी से अलग हो गए।
कुमार विश्वास

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हिंदी के कवि कुमार विश्वास भी अरविंद केजरीवाल के शपथ ग्रहण समारोह में नहीं पहुंचे। विश्वास कभी आम आदमी पार्टी के बड़े नेताओं में से एक थे। वे 2013 और 2015 में दिल्ली विधानसभा चुनाव जीतने के बाद हर मंच पर पार्टी की जिम्मेदारी संभालते नजर आते थे। लेकिन जब साल 2015 में दूसरी बार आप की सरकार बनी तो कई मुद्दों पर उनका केजरीवाल से मनमुटाव देखने को मिला। इसके बाद वह हर मौके पर पार्टी और उसके नेताओं के खिलाफ बोलते नजर आए। मनमुटाव इतना बढ़ा कि उन्होंने पार्टी ही छोड़ दी।
योगेंद्र यादव

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अन्ना आंदोलन से निकल कर आए नेता और राजनीतिक विश्लेषक योगेंद्र यादव भी कभी आम आदमी पार्टी का बड़ा चेहरा थे। दिल्ली में आप की सरकार बनाने में उनकी भूमिका काफी अहम रही थी। वे पार्टी के मुख्य रणनीतिकार थे। उनकी ही सलाह पर 2013 में केजरीवाल ने 49 दिन बाद कांग्रेस का समर्थन लौटाकर सरकार गिरा दी थी।

वहीं योगेंद्र यादव की सलाह पर 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने देशभर में चुनाव ल़ड़ा था। लेकिन इस फैसले से पार्टी को नुकसान पहुंचा था। जिसके बाद केजरीवाल और योगेंद्र यादव के बीच दूरियां आ गई थीं। दोनों के बीच लगातार टकराव की ख़बरें सामने आने लगी, जिसके बाद उन्होंने पार्टी छोड़ दी।

शांति भूषण

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वरिष्ठ वकील शांति भूषण को आम आदमी पार्टी (AAP) की स्थापना का थिंकटैंक कहा जाता है। लेकिन साल 2015 में दिल्ली में आप की सरकार बनने के बाद उनका अरविंद केजरीवाल से कई मुद्दों पर लगतार तकरार होता रहा। जिसके बाद वे भी पार्टी से अलग हो गए।
प्रशांत भूषण

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प्रशांत भूषण वकील शांति भूषण के बेटे हैं। वे एक समय अरविंद केजरीवाल के खास दोस्त थे। उन्होंने केजरीवाल से जुड़े कई केसों की पैरवी की है। 2015 में दिल्ली में केजरीवाल की सरकार बनने के बाद इन्होंने लोकपाल के मुद्दे पर अपनी ही सरकार को घेरना शुरू कर दिया था। जिसके बाद दोनों के बीच टकराब बढ़ता गया और आखिर में उन्होंने पार्टी छोड़ दी।

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