राजनीति

राजनीति में आर्मी मैन: सुरक्षा के बाद इन लोगों ने देश चलाने का भी उठाया बीड़ा

सेना के 7 पूर्व अफसर राजनीति में हुए शामिल
कैप्टन अमरिंदर सिंह पंजाब के मुख्यमंत्री
अन्ना हजारे जिन्होंने अपना जीवन देश सेवा में समर्पित कर दिया

Apr 28, 2019 / 10:25 pm

Shivani Singh

राजनीति में आर्मी मैन: सुरक्षा के बाद इन लोगों ने देश चलाने का भी उठाया बीड़ा

नई दिल्ली। किसी समय लाल बहादुद शारूत्री ने नारा दिया था- जय जवान जय किसान। दरअसल दोनों अपने अपने तरीके से देश की सेवा करते हैं।किसान लोगों का पेट पालकर यह काम करता है और जवान अपनी जान पर खेलकर देश की सुरक्षा करके इस काम को अंजाम देता है। देश सेवा के और भी कइर् तरीके हो सकते हैं। इन्हीं में से राजनीति भी एक है। लोकतंत्र के महावपर् यानी आम चुनाव के दौरान शनिवार को सात पूवर् सेना अधिकारियों ने देश सेवा के लिए एक राजनीतिक पाटीर् की सदस्यता ग्रहण करके देश सेवा के लिए राजनीति का रास्ता चुना। यह कोइर् पहला मौका नहीं है, जब सेना नायकों ने ऐसा किया हो। इससे पहले भी कइर् ऐसे सेनाधिकारी हुए हैं, जिन्होंने राजनीति में कदम रखा और देश के लिए बहुत कुछ किया भी। आइए, ऐसे ही कुछ लोगों पर डालें एक नजर…

कैप्टन अमरिंदर सिंह : राजनीतिज्ञ भी और लेखक भी…

 

कैप्टन अमरिंदर सिंह वर्तमान में पंजाब के मुख्यमन्त्री हैं। वे पटियाला के राजपरिवार से हैं और अमृतसर से सांसद भी रह चुके हैं। अमरिंदर सिंह का जन्म पांजब के पटियाला में 11 मार्च 1942 में हुआ था।वह राष्ट्रीय रक्षा अकादमी और भारतीय सैन्य अकादमी से स्नातक करने के बाद 1963 में भारतीय सेना में शामिल हो गए। साल 1963–1965 तक वह सेना में रहें। इसके बाद उन्होंने 1965 में सेना इस्तीफा दे दिया।लेकिन उसी साल 1965 में पाकिस्तान के साथ युद्ध छिड़ने पर वह फिर सेना में भर्ती हो गए। उस दौरन उन्होंने कैप्टन के रूप में सिख रेजीमेंट की तरफ से युद्ध में भाग लिया।

इसके बाद में वह कांग्रेस में शामिल हो गए। 1980 में लोकसभा के लिए चुने गए, लेकिन अमृतसर में स्वर्ण मंदिर पर सैन्य कार्रवाई “ऑपरेशन ब्लू स्टार” होने पर उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया। बाद में वे शिरोमणि अकाली दल (शिअद) में शामिल हो गए और तलवंडी साबो हलके से चुनाव जीतकर विधायक बने और कृषि एवं पंचायत मंत्री रहे। वह 1999 से 2002 और 2010 से 2013 तक पंजाब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहे। वर्ष 2002 से 2007 तक राज्य के मुख्यमंत्री भी रहे।
इसके बाद 2014 के आम चुनावों में कैप्टन सिंह ने अमृतसर लोकसभा सीट से अरुण जेटली को हराया। उन्होंने पटियाला से तीन बार, समाना और तलवंडी साबो से एक-एक बार विधानसभा में प्रतिनिधित्व किया। 2017 के विधानसभा चुनावों के लिए उन्हें फिर से प्रदेश पार्टी की कमान सौंपी गई। उनके नेतृत्व में कांग्रेस ने गत 11 मार्च को आए विधानसभा चुनाव नतीजों में 77 सीटों पर शानदार जीत दर्ज की। 16 मार्च को उन्हें राज्य के 26वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई। कैप्टन सिंह एक अच्छे लेखक भी हैं जिन्होंने अंग्रेजी में दो किताबें लिखी हैं। उनकी लिखी किताबों के नाम क्रमश: ‘ द लास्ट सनसेट’ और ‘द राइज एंड फॉल ऑफ द लाहौर दरबार’ हैं।
अन्ना हजारे : लाेकहित में किए कइर् काम

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अन्ना हजारे को कौन नहीं जानता। लोकपाल आंदोलन से चर्चा में आए अन्ना हजारे का पूरा नाम किसन बाबूराव हजारे है।अन्ना कााा जन्म 5 जून 1938 को महाराष्ट्र के अहमद नगर के भिंगर कस्बे में हुआ। अन्ना का बचपन बहुत गरीबी में बीता। उनके पिता एक मजदूर थे और दादा फौज में।अन्ना का पुश्‍तैनी गांव अहमद नगर जिले में स्थित रालेगन सिद्धि में था।वह 1960 में भारतीय सेना में शामिल हुए, जहां उन्होंने शुरू में सेना के ट्रक चालक के रूप में काम किया और बाद में एक सैनिक के रूप में अपनी सेवा दी। उन्होंने औरंगाबाद में सेना का प्रशिक्षण लिया। 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान, हजारे खेमकरण क्षेत्र में सीमा पर तैनात थे। यहां पाकिस्तानी हमले में वह बाल-बाल बचे। इसके बाद वह नई दिल्ली आ गए। यहां रेलवे स्टेशन से उन्होंने विवेकानंद की एक पुस्‍तक ‘कॉल टु दि यूथ फॉर नेशन’ खरीदी और उसको पढ़ने के बाद उन्होंने अपनी जिंदगी समाज को समर्पित कर दी।

हालांकि हजारे राजनीति में सक्रिय रूप से शामिल नहीं हुए। लेकिन उन्होंने समय-समय पर जनता के हितों से जुड़ी कई मांगों को उठाते हुए भूख हड़ताल की। अन्ना हजारे ने अहमदनगर के परनेर तालुका के एक गांव रालेगण सिद्धि के विकास और संरचना में भी योगदान दिया। 1992 में इस गांव को दूसरों के लिए एक मॉडल के रूप में स्थापित करने के प्रयासों के लिए उन्हें भारत सरकार की ओर से तीसरा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार- पद्म भूषण प्रदान किया गया।

राज्यवर्धन सिंह राठौर : राष्ट्रीय स्तर के निशानेबाज भी…

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कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौर राष्ट्रीय स्तर के निशानेबाज के रूप में प्रसिद्ध हैं। उनका जन्म 29 जनवरी 1970 काे राजस्थान में हुआ। एक शूटर के रूप में, डबल ट्रैप इवेंट में प्रतिस्पर्धा करने के बाद, उन्होंने 2004 ओलंपिक खेलों में रजत पदक जीता। एक दशक से अधिक के करियर में उन्होंने राष्ट्रमंडल और एशियाई खेलों में कई पदक जीते। राठाेर ने विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय खेलों में 7 स्वर्ण, 3 रजत और 2 कांस्य पदक जीते हैं। वे पहले भारतीय (स्वतंत्रता के बाद) हैं जिन्होंने व्यक्तिगत रजत पदक जीता। उन्हें 2005 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।

राठैर अति विशिष्ट सेवा पदक, विशेष सेवा पदक और सैनिक सेवा पदक से भी नवाजे जा चुके हैं। 2013 में सेना से समय से पहले सेवानिवृत्ति लेने के बाद वे बीजेपी में शामिल हो गए। उन्हें 2014 के लोकसभा चुनाव में जयपुर ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्र से सांसद चुना गया था। 2014 में, उन्होंने नरेंद्र मोदी सरकार के तहत सूचना और प्रसारण राज्य मंंत्री के रूप में शपथ ली। राठौर को 2017 में युवा मामलों और खेल मंत्रालय के लिए स्वतंत्र प्रभार के साथ कैबिनेट मंत्री नियुक्त किया गया था।अभी वह केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण राज्यमंत्री हैं।

जनरल वीके सिंह-

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जनरल वीके सिंह का पूरा नाम जनरल विजय कुमार सिंह है। वह यूपी के गाजियाबाद से सांसद और केंद्र में मंत्री हैं। उनका जन्‍म 10 मई 1951 को हरियाणा के भिवानी जिले के बपोरा गांव में हुआ था। उनके पिता भी सेना में कर्नल थे। इतना ही नहीं उनके दादा जेसीओ थे। मतलब वह परिवार की तीसरी पीढ़ी हैं, जो सेना में गए। उन्‍होंने राजस्‍थान के पिलानी में स्थित बिड़ला पब्लिक स्कूल से शिक्षा प्राप्त की है। वह नेशनल डिफेंस एकेडमी के भी छात्र रह चुके हैं।

बता दें कि वीके सिंह ने सेना में अपने करियर की शुरुआत 14 जून 1970 में की थी। उन्हें सेकंड लेफ्टिनेंट राजपूत रेजीमेंट में जगह मिली थी। वह 2010 से 2012 तक सेना में जनरल के पद पर रहे। वीके सिंह सेना में 42 वर्ष तक योगदान देने के बाद 31 मई 2012 को रिटायर हो गए। वह भारतीय सेना में 24वें थल-सेनाध्यक्ष थे। वीके सिंह सेना मुख्यालय में मिलेट्री ऑपरेशंस डायरेक्टोरेट के पद पर काम कर चुके हैं। इससे पहले जब भारतीय सेना को 2001 में संसद पर हमले के बाद ऑपरेशन पराक्रम के तहत सीमा पर तैनात किया गया था तो वह ब्रिगेडियर जनरल स्टाफ ऑफ ए कॉर्प्स के तौर पर कार्यरत थे। उनको परम विशिष्ट सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल और युद्ध सेवा मेडल समेत कई सम्‍मानों से नवाजा जा चुका है।

राजनीतिक करियर की बात करेें तो सेना से रिटायर होने के बाद वह अन्ना हजारे की ओर से चलाए जा रहे भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन का हिस्‍सा बन गए। 1 मार्च 2014 को उन्‍होंने भाजपा जाॅॅॅइन कर ली। वर्तमान में वह गाजियाबाद के सांसद और केंद्र में उत्तर-पूर्वी भारत से संबंधित मामलों के राज्यमंत्री हैं।इस बार लोकसभा चुनाव में वह गाजियाबद से ही चुनाव लड़ रह हैं।

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