बतौर गृहमंत्री अमित शाह की राह इतनी आसान नहीं होगी। मोदी सरकार 1 में हुई गलतियों को सुधारना और खास तौर पर आतंक और नक्सली प्रभावित राज्यों में देश की सुरक्षा को मजबूती देना उनके लिए बड़ी चुनौती होगी। इनमें घाटी में शांति उनकी प्राथमिकता में शामिल होगा।
अमित शाह पर पर देश के आंतरिक दुश्मनों से लड़ने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। अपनी हर सभा में भारत माता की जय का नारा लगवाने वाले शाह को घर के भेदियों से निपटना होगा। कश्मीर घाटी में ऑपरेशन ऑल आउट के तहत दिन-रात आतंकियों को मौत की नींद सुलाया जा रहा है। ऑपरेशन ऑल आउट के तहत 2018 में 257आतंकी मारे गए. 2019 के शुरू के 5 महीनों में मारे गए आतंकियों की संख्या 97 पहुंच चुकी है। इसी काम को आगे बढ़ाते हुए अमित शाह पर घाटी को संवारने की जिम्मेदारी है।
मोदी घाटी में शांति के लिए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की नीति को कारगर बताते रहे हैं, ऐसे में अमित शाह के सामने चुनौती होगी कि वे अटल नीति को घाटी में लागू कर सकें। कश्मीर की जनता को अपने पक्ष में लाना और एकजुट करना भी अमित शाह के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होगा। अमित शाह अपनी रैलियों में धारा 370 को खत्म करने का वादा करते आए हैं। ऐसे में बतौर गृह मंत्री ये उनके लिए बड़ा टास्क होगा। घाटी में धारा 370 के तहत अन्य राज्य का कोई भी व्यक्ति यहां जमीन नहीं खरीद सकता है।
घाटी के अलावा शाह के सामने नक्सलियों पर नकेल और नागरिक संशोधन बिल जैसी बड़ी चुनौतियां मुंह बाहे खड़ी हैं। जिसका सामना मोदी की पहली सरकार को करना पड़ा था। नागरिक संशोधन बिल को लेकर तो मोदी सरकार की जमकर आलोचना भी हुई, जिसके बाद खुद मोदी ने पूर्वोत्तर के लोगों को भरोसा दिलाया था।
राजनाथ सिंह ने देश के रक्षा मंत्री के रूप में पदभार ऐसे समय संभाल रहे हैं, जब कि देश पाकिस्तान की ओर से लगातार आतंक का दंश झेल रहा है। तीन महीने पहले ही बालाकोट में हुई एयर स्ट्राइक हर किसी के जहन में ताजा है। माना जा रहा हैकि सीमा पार आतंकवाद से निपटने के लिए भारत इसी नीति पर आगे भी चलेगा।
राजनाथ सिंह के सामने आतंक से निपटने के साथ ही सेना की ताकत को मजबूत करना है। इनमें नौसेना और वायुसेना की युद्धक क्षमताओं को नई ऊंचाई देनी है। तीनों सेवाओं के आधुनिकीकरण को तेजी देना भी राजनाथ के लिए बड़ी जिम्मेदारी है।