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गृह मंत्री अमित शाह ने कार्यभार संभालाः अधिकारियों की लेंगे बैठक, राजनाथ सिंह के हाथ देश की रक्षा

मोदी कैबिनेट 2.0 के दो महत्वपूर्ण मंत्री शाह ने संभाला चार्ज
बतौर गृह मंत्री अमित शाह के सामने हैं बड़ी चुनौतियां
रक्षा मंत्री का पद संभालने से पहले राजनाथ ने किया शहीदों को नमन

Jun 01, 2019 / 04:37 pm

धीरज शर्मा

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नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी की ऐतिहासिक जीत में रणनीतिकार की भूमिका निभाने वाले भाजपा अध्यक्ष अमित शाह आज से नई भूमिका में नजर आएंगे। जी हां मोदी कैबिनेट में बतौर गृह मंत्री बनाए गए शाह ने आज अपना कार्यभार संभाला। दोपहर 12 बजे बाद शाह ने अपना पदभार संभाला। पदभार लेने के बाद अमित शाह अधिकारियों के साथ बैठक करने जा रहे हैं। बैठक में गृह राज्य मंत्री किशन रेड्डी और नित्यानंद राय शामिल रहेंगे। उधर.. मोदी ब्रिगेड का एक और बड़ा चेहरा और मोदी सरकार-1 में गृह मंत्री रहे राजनाथ सिंह ने भी आज से रक्षा मंत्रालय की बागडोर संभाली। गृह मंत्रालय के कार्यालय में अमित शाह के नाम की तख्ती टांग दी गई है।
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राजनाथ सिंह ने कार्यभार संभालने से पहले नेशनल वॉर मेमोरियल जाकर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। इसके बाद अपना पद संभालने रक्षा मंत्रालय पहुंचे। करीब 12.30 बजे राजनाथ सिंह ने देश के रक्षा मंत्री के रूप में कार्यभार संभाला। कार्यभार संभालते ही मोदी के दोनों गृह और रक्षा मंत्रियों ने अधिकारियों के साथ पहली बैठक भी की। आपको बता दें कि राजनाथ सिंह ने रक्षा मंत्रालय विभाग मिलते ही कहा था कि देश की सुरक्षा को लेकर अब नए आयाम पर काम किया जाएगा।
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अमित शाह के सामने चुनौतियां
बतौर गृहमंत्री अमित शाह की राह इतनी आसान नहीं होगी। मोदी सरकार 1 में हुई गलतियों को सुधारना और खास तौर पर आतंक और नक्सली प्रभावित राज्यों में देश की सुरक्षा को मजबूती देना उनके लिए बड़ी चुनौती होगी। इनमें घाटी में शांति उनकी प्राथमिकता में शामिल होगा।
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घाटी में दो साल में करीब 350 आतंकी मार गिराए
अमित शाह पर पर देश के आंतरिक दुश्मनों से लड़ने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। अपनी हर सभा में भारत माता की जय का नारा लगवाने वाले शाह को घर के भेदियों से निपटना होगा। कश्मीर घाटी में ऑपरेशन ऑल आउट के तहत दिन-रात आतंकियों को मौत की नींद सुलाया जा रहा है। ऑपरेशन ऑल आउट के तहत 2018 में 257आतंकी मारे गए. 2019 के शुरू के 5 महीनों में मारे गए आतंकियों की संख्या 97 पहुंच चुकी है। इसी काम को आगे बढ़ाते हुए अमित शाह पर घाटी को संवारने की जिम्मेदारी है।
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अटल नीति को लागू करना
मोदी घाटी में शांति के लिए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की नीति को कारगर बताते रहे हैं, ऐसे में अमित शाह के सामने चुनौती होगी कि वे अटल नीति को घाटी में लागू कर सकें। कश्मीर की जनता को अपने पक्ष में लाना और एकजुट करना भी अमित शाह के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होगा। अमित शाह अपनी रैलियों में धारा 370 को खत्म करने का वादा करते आए हैं। ऐसे में बतौर गृह मंत्री ये उनके लिए बड़ा टास्क होगा। घाटी में धारा 370 के तहत अन्य राज्य का कोई भी व्यक्ति यहां जमीन नहीं खरीद सकता है।

घाटी के अलावा शाह के सामने नक्सलियों पर नकेल और नागरिक संशोधन बिल जैसी बड़ी चुनौतियां मुंह बाहे खड़ी हैं। जिसका सामना मोदी की पहली सरकार को करना पड़ा था। नागरिक संशोधन बिल को लेकर तो मोदी सरकार की जमकर आलोचना भी हुई, जिसके बाद खुद मोदी ने पूर्वोत्तर के लोगों को भरोसा दिलाया था।
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राजनाथ के सामने भी कम नहीं चुनौतियां
राजनाथ सिंह ने देश के रक्षा मंत्री के रूप में पदभार ऐसे समय संभाल रहे हैं, जब कि देश पाकिस्तान की ओर से लगातार आतंक का दंश झेल रहा है। तीन महीने पहले ही बालाकोट में हुई एयर स्ट्राइक हर किसी के जहन में ताजा है। माना जा रहा हैकि सीमा पार आतंकवाद से निपटने के लिए भारत इसी नीति पर आगे भी चलेगा।
तीनों सेना की क्षमता को मजबूत करना
राजनाथ सिंह के सामने आतंक से निपटने के साथ ही सेना की ताकत को मजबूत करना है। इनमें नौसेना और वायुसेना की युद्धक क्षमताओं को नई ऊंचाई देनी है। तीनों सेवाओं के आधुनिकीकरण को तेजी देना भी राजनाथ के लिए बड़ी जिम्मेदारी है।

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