मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले भी अमित शाह ने एक गरीब के घर भोजन किया था। शाह मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान के साथ रातीबड़ थानाक्षेत्र के सेवनिया गोंड गांव में रहने वाले आदिवासी कमल सिंह उइके के घर गए और जमीन पर बैठकर भोजन किया।
उनके इस कदम को विरोधियों ने चुनावी रणनीति का हिस्सा करार दिया।
वर्ष 2017 में भी बतौर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने प्रदेश की तीन दिवसीय यात्रा के दौरान उत्तर बंगाल के नक्सलबाड़ी में एक आदिवासी व्यक्ति के घर भोजन किया था।
यही नहीं अमित शाह ने 2017 में ही ममता बनर्जी के भवानीपुर विधानसभा क्षेत्र में गरीब को लेकर अपनी दरियादिली दिखाई। उन्होंने लॉकगेट बसी और उत्तर 24 परगना जिले के गौरांगनगर में भी शाह कुछ लोगों के घर गये और वहां मिठाई खायी तथा लस्सी पी।
2017 में ही अपने देहरादून दौरे के दूसरे दिन भाजपा अमित शाह ने दलित के घर पर खाना खाया। शाह ने मुन्ने सिंह शख्स के घर भोजन किया। मुन्ने पेशे से धोबी का काम करते थे।
राजस्थान विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भी अमित शाह ने 2017 में दलित के घर भोजन किया। उस दौरान वसुंधरा राजे की सरकार थी। शाह ने सिविल लाइंस विधानसभा क्षेत्र स्थित सुशीलपुरा में दलित रमेश पचारिया के घर भोजन किया।
चूंकी लोकसभा चुनाव के लिए कहा जाता है कि जिसने यूपी को जीत लिया उसने आधे से ज्यादा चुनाव पर कब्जा जमा लिया। लिहाजा 2019 के चुनाव से पहले भी अमित शाह ने यूपी का रुख किया और यहां भी दलित के घर भोजन नीति से ही वोट बंटोरने की कोशिश की।
अमित शाह की इस भोजन नीति पर विरोधियों ने जमकर प्रहार किया है। विरोधियों का कहना है कि शाह धर्म का राजनीतिक उपयोग करते हैं। वहीं कांग्रेस का कहना है कि शाह भी नेहरु और गांधी परिवार के नक्शे कदम पर भी चल रहे हैं। नेहरु से लेकर इंदिरा, राजीव और राहुल ने भी गरीब के घर भोजन किया है।