अमित शाह का गांधी नगर से चुनाव जीतना परिवर्तन का आरंभ ऐसे हालात में गांधीनगर से पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के चुनाव जीतना वास्तव में भाजपा में एक नए युग का आरंभ होने जैसा हो सकता है। इस युग की शुरूआत जुड़ी है आडवाणी युग की समाप्ति के साथ। दरअसल भाजपा के वयोवृद्ध नेता लालकृष्ण आडवाणी का टिकट काटकर ही अमित शाह को प्रतिष्ठित गांधी नगर लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया गया था। भाजपा संगठन में तो पहले से ही अमित शाह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद सबसे शक्तिशाली नेता समझे जाते रहे हैं, अब लोकसभा चुनाव 2019 में प्रचंड बहुमत से दोबारा जीतने के बाद एनडीए पार्ट 2 में सरकार में भी अमित शाह की वही भूमिका हो सकती है।
राजनाथ सिंह बनाम अमित शाह एक दिलचस्प बात यह है कि राजनाथ सिंह को हटाकर ही अमित शाह पार्टी अध्यक्ष बने थे। अब कहा यह जा रहा है कि यदि भाजपा फिर से केंद्र की सत्ता में आती है, तो अमित शाह को गृहमंत्री जैसा महत्वपूर्ण मंत्रालय दिया जा सकता है। यदि ऐसा होता है, तो यह इतिहास के खुद को दोहराने जैसा ही होगा, क्योंकि मोदी सरकार में अब तक गृहमंत्री का पद संभाल रहे राजनाथ सिंह उस स्थिति में दोबारा भारत के गृहमंत्री नहीं बन सकेंगे।
यह भी पढ़ें: भाजपा का कांग्रेस मुक्त भारत का जुमला भी औंधे मुंह गिरा राजनाथ सिंह का गृहमंत्री पद तक का सफर प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से राजनाथ सिंह का गहरा रिश्ता रहा है। उनका जन्म वाराणसी में 10 जुलाई 1951 में हुआ था। सन 1964 में वह संघ परिवार से जुड़े और आगे चलकर भौतिकी के व्याख्याता बनने के बाद भी संघ से उनका जुड़ाव खत्म नहीं हुआ। 1974 में उन्हें भारतीय जनसंघ का सचिव बनाया गया। वह 2000 से 2002 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे। वह अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी के बाद केवल तीसरे भाजपा नेता हैं, जिन्होंने दो बार भाजपा का अध्यक्ष पद संभाला। इसके बाद 26 मई 2014 को नवगठित मोदी सरकार में उन्होंने गृहमंत्री जैसा प्रभावशाली पद संभाला। लेकिन अब अमित शाह के लोकसभा चुनाव जीतने के बाद राजनाथ सिंह के लिए हालात कुछ बदल सकते हैं।
यह भी पढ़ें: आखिर कौन लोग हैं जो नहीं चाहते कि मोदी 2019 में फिर बनें प्रधानमंत्री गृहमंत्री पद का रास्ता गांधीनगर संसदीय सीट से होकर जाएगा! अमित शाह भी राजनाथ सिंह की तरह ही दो बार भाजपा अध्यक्ष रहे। 22 अक्टूबर 1964 को जन्मे अमित शाह गुजरात के गृहमंत्री का पद भी संभाल चुके हैं। भारतीय राजनीति में मोदी और शाह की जोड़ी का कोई तोड़ नहीं है। दरअसल अमित शाह पहली बार नरेंद्र मोदी से 1982 में अपने छात्र जीवन के दौरान मिले थे। इसके बाद ही उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई थी। अमित शाह के लिए राजनीतिक जीवन की पहली बड़ी उपलब्धि थी 1991 में लालकृष्ण आडवाणी के लिए गांधीनगर संसदीय क्षेत्र में चुनाव प्रचार करना। इसके बाद शाह ने कभी मुड़कर पीछे नहीं देखा और 2014 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में भाजपा को 71 सीटें जितवाकर उन्होंने सभी को अपनी राजनीतिक सूझबूछ का कायल बना दिया। जिस संसदीय क्षेत्र में पहली बार एक बड़े नेता के लिए चुनाव प्रचार किया, अब उसी सीट से लोकसभा चुनाव लड़ना और विशाल अंतर से जीत हासिल करना, अमित शाह के जीवन का एक नया पड़ाव है। यदि तमाम राजनीतिक विशेषज्ञों की बातों को सही मानें, तो गृहमंत्री पद का रास्ता अमित शाह के लिए गांधीनगर संसदीय सीट से ही होकर जाता है।