भाजपा मुख्यालय पर प्रेस कांफ्रेंस करते हुए केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि आतंकवाद को लेकर भाजपा का रुख शुरु से जीरो टॉलरेंस की जबकि सपा का रुख आतंकियों को संरक्षण देने की रही है। 2008 के अहमदाबाद सीरियल बम ब्लास्ट पर गुजरात कोर्ट का निर्णय का भाजपा स्वागत करती है। इस आदेश में 49 दोषियों में से 38 को फांसी की जबकी 11 को आजीवन कारावास की सजा सुनायी गयी। गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों से आतंकियों को सजा हो सकी। ब्लास्ट होने के बाद सभी जांच एजेंसियों का कहना था कि मुख्यमंत्री मोदी घटना स्थल पर न जाएं। मगर मोदी घटना स्थल पर गए और उनके निर्देश पर एसआईटी का गठन किया गया। मात्र 19 दिनों के भीतर आतंकी पकड़े गए। सिम्मी हो या इंडियन मुजाहीददीन, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इनकी कमर तोड़ने का काम किया है। ताज्जुब है कि कोर्ट के फैसले आने के बाद भी सपा नेताओं और उनकी पार्टी की तरफ से कोई बयान नहीं आया है।
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि जिन लोगों को कोर्ट ने दोषी करार दिया गया है उनमें एक है मोहम्मद सैफ पुत्र शहबाद अहमद। शहबाद अहमद सपा नेता हैं।? इस पर अखिलेश यादव की चुप्पी क्यों है? अखिलेश यादव जब मुख्यमंत्री थे उस वक्त की तस्वीर में अखिलेश यादव और शाहबाज अहमद एक साथ हैं। क्या उस समय के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मिस्टर समाजवादी पार्टी नेता को बिरयानी खिलाने बुलाये थे, जिनका बेटा अहमदाबाद बम ब्लास्ट में मास्टर मांइड था । क्या इस पर अखिलेश यादव चुप्पी तोड़ेंगे? आजमगढ़ को आतंकवादियों का गढ़ बनाने का काम समाजवादी पार्टियों ने किया है।
सपा सरकार में धमाके करने वाले रिहा हुए थे अनुराग ठाकुर ने कहा कि 2012 में अपने चुनावी घोषणा पत्र में अखिलेश यादव ने सरकार बनते ही आतंकियों के खिलाफ दर्ज सभी मामलों को वापस लेने का एलान किया था। सरकार बनने पर लखनऊ और अयोध्या में जिसने बम हमले किए, उन्हें अखिलेश सरकार ने रिहा करवाया। 2013 में सरकार बनते ही अखिलेश ने आतंकवादियों को छोड़ा था तो कोर्ट ने कहा था कि आतंकियों को छोड़ देंगे तो क्या उन्हें पदम भूषण देंगे? उन्होंने कहा कि अदालत का यह बयान तत्कालीन अखिलेश यादव की सरकार पर प्रश्नचिन्ह खड़े करती है। अखिलेश सरकार में जिन आतंकियों पर से टेरर चार्जेज हटाये गए थे, वे कौन लोग हैं, जिन्होंने अयोध्या, लखनउ, वाराणसी में बम ब्लास्ट किया था?
बाटला हाउस मुठभेड़ को भी उठाया
बाटला हाउस मुठभेड़ का जिक्र करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा की शहादत पर कांग्रेस और सपा के बडे़ नेताओं ने प्रश्न चिन्ह खड़े किये थे। कांग्रेस नेताओं ने कहा था कि सोनिया गांधी उन गुनाहगारों के घरों पर जाकर फूट फूट कर रोयी थीं, लेकिन सोनिया गांधी और राहुल गांधी के पास शहीद मोहन चंद्र शर्मा के घर जाने का समय नहीं था। न अखिलेश जी के पास समय था और ना ही बाकी नेताओं के पास। इसी प्रकार, रामपुर के सीआरपीएफ कैम्प पर आतंकी हमले में सीआरपीएफ के सात जवान शहीद हो गए थे। इस मामले में भी तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस हमले में शामिल आतंकियों पर से केस वापस लेने की कोशिश की थी। अल कायदा के आपरेटीव लखनउ में पकड़े गए थे, लेकिन समाजवादी पार्टी ने पुलिस की जांच और एटीस पर सवाल खडे़ किए थे। यह इनका आतंकी प्रेम दिखाता है। प्रेस कांफ्रेंस के दौरान राज्यसभा सांसद और राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनिल बलूनी भी प्रमुख रूप से मौजूद रहे।