जाट आरक्षण आंदोलन वर्ष 2005-06 से चल रहा है। यह आंदोलन उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, मध्य प्रदेश, हरियाणा और पंजाब सहित 13 प्रदेशों में लगातार चल रहा है। जाट आरक्षण संघर्ष समिति ने आरोप लगाए कि इस आंदोलन में विभिन्न प्रांतों में 18 युवाओं की हत्याएं अब तक हो चुकी हैं। वहीं इससे पूर्व इस आंदोलन में पूर्ववर्ती सरकार के समय 3 जाट युवक शहादत दे चुके हैं। इतना सब कुछ होने के बाद भी केंद्र सरकार नहीं जागी है।
पश्चिमी उप्र में भाजपा के लिए बनेगा मुसीबत
पश्चिमी उप्र में एक ओर जहां भाजपा अपनी जीत का मार्ग प्रशस्त करने में कड़ी मेहनत कर रही है। वहीं दूसरी ओर अगर जाट आरक्षण का मुददा तूल पकड़ता है तो यह भाजपा के लिए सबसे नुकसान देह साबित होगा। जाट आरक्षण आंदोलन के संरक्षक मेजर जनरल एसएस अहलावत का कहना है कि जाटों की किसी से कोई लड़ाई नहीं है। उन्होंने कहा कि भाजपा जब तक सत्ता में नहीं आई थी तब तक वो जाट आरक्षण आंदोलन की समर्थक रही। अब जब केंद्र और राज्य में भाजपा की सरकार है तो जाट आरक्षण को लागू करने में क्या परेशानी है। उन्होंने बताया कि ”पश्चिमी उप्र में 28 जिले जाट बाहुल्य हैं। जहां पर जाटों की वोटें चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाती हैं। सोचिए अगर जाट बिगड़ा तो क्या होगा”।