पश्चिम बंगाल उपचुनाव में मिली करारी हार भाजपा के नेताओं के गले नहीं उतर पा रही है। इसे लेकर प्रदेश भाजपा में व्याप्त अंदरूनी कलह उभरकर सामने आ गया है। भाजपा के कुछ नेता प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजुमदार और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी पर सवाल उठा रहे हैं।
मुर्शिदाबाद जिले के विधायक गौरी शंकर घोष ने पार्टी पर अकुशल लोगों को नेतृत्व की भूमिका में रखने का आरोप लगाते हुए शनिवार को राज्य महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने कहा “मैं बीजेपी नहीं छोड़ रहा हूं। मैं महासचिव का पद छोड़ रहा हूं क्योंकि मेरे फैसलों का कोई मतलब नहीं है।” वहीं, नदिया जिले में भी 10 नेताओं ने भी इसी तरह के कारणों का हवाला देते हुए शनिवार को इस्तीफा दे दिया।
तो दूसरी तरफ भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने कहा, “हम उन लोगों से बात करेंगे जिन्होंने इस्तीफा दे दिया है और उनकी शिकायतों पर चर्चा करेंगे।” सौमित्र खान की आलोचना को अपनी निजी राय बताते हुए मजूमदार ने कहा, “उन्हें (खान को) याद रखना चाहिए कि इन उपचुनावों के पर्यवेक्षक सुवेंदु अधिकारी थे और सह-पर्यवेक्षक अर्जुन सिंह थे।” अधिकारी और सिंह दोनों खान की तरह पक्ष बदलने से पहले टीएमसी के वरिष्ठ नेता थे।
इसी बीच, बीजेपी के नेता अनुपम हाजरा ने एक के बाद एक नेताओं के इस्तीफे को लेकर सवाल खड़ा किया है। अनुपम हाजरा ने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा, “एक साथ इतने इस्तीफे क्यों, इसका आकलन और विश्लेषण राज्य भाजपा द्वारा बहुत गंभीरता से किया जाना चाहिए!!! जहां तक मैं जानता हूं गौरीशंकर बाबू एक अच्छे संगठनकर्ता हैं!!! जिन्हें इतने लंबे समय से महत्व दिया गया है उन्होंने सभी दलों को छोड़ दिया है, और वे इस्तीफा दे रहे हैं!!! मेरे जैसे लोगों का एक और वर्ग है, जो बंगाल-बीजेपी के गलत समय पर हैं।”
तो वहीं बीजेपी सांसद सौमित्र खान ने अपनी ही पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा, “बीजेपी की हार की उम्मीद पहले से थी। ऐसा इसलिए क्योंकि बीजेपी बंगाल ईकाई का नेतृत्व अनुभवहीन नेता कर रहे हैं। जो राजनीतिक रूप से परिपक्व नहीं हैं।”
बता दें, पूर्व केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो, जो पिछले साल नरेंद्र मोदी सरकार से हटाए जाने के बाद टीएमसी में शामिल हुए, ने बालीगंज से जीत हासिल की है। जबकि इस सीट पर भाजपा के कीया घोष की जमानत तक जब्त हो गई। यह सीट मंत्री सुब्रत मुखर्जी की सीट थी लेकिन उनके निधन के बाद यह सीट पिछले वर्ष नवंबर माह में खाली हो गई थी। वहीं, आसनसोल लोकसभा सीट जो बाबुल सुप्रियो ने खाली की थी, उस पर अभिनेता से नेता बने शत्रुघ्न सिन्हा ने चुनाव जीता।