सपा अपने संगठन को मजबूत करने का काम कर रही है। 2024 लोकसभा चुनाव में हम अपने संगठन के दम पर बीजेपी को कड़ी टक्कर दे सकते हैं। जनता का मूड़ बीजेपी के खिलाफ है । लोग बेरोजगारी और मंहगाई से परेशान है। हम इन मुद्दों के सहारे बीजेपी को घेर सकते हैं। यही मुद्दे लेकर 2024 लोकसभा चुनाव में जनता के बीच जाएंगे।
सपा और कांग्रेस का गठबंधन
2017 विधानसभा चुनाव में सपा ने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था और जीत हासिल नहीं कर पाई। सपा को नुकसान उठाना पड़ा । वहीं 2012 के विधानसभा चुनाव में सपा को 224 सीटों पर जीत हासिल हुई लेकिन 2017 विधानसभा चुनाव में मात्र 47 सीटों पर आकर सिमट गई। जबकि सपा और कांग्रेस का गठबंधन था. सपा ने कांग्रेस को 114 सीटें दी थी लेकिन कांग्रेस सिर्फ 7 सीटें ही जीत सकी।
2017 विधानसभा चुनाव में सपा ने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था और जीत हासिल नहीं कर पाई। सपा को नुकसान उठाना पड़ा । वहीं 2012 के विधानसभा चुनाव में सपा को 224 सीटों पर जीत हासिल हुई लेकिन 2017 विधानसभा चुनाव में मात्र 47 सीटों पर आकर सिमट गई। जबकि सपा और कांग्रेस का गठबंधन था. सपा ने कांग्रेस को 114 सीटें दी थी लेकिन कांग्रेस सिर्फ 7 सीटें ही जीत सकी।
यह भी पढ़ें
गोरखपुर: मुस्लिम के घर में खुदाई के दौरान मिला शंख, त्रिशूल और घंटा ,पुलिस ने पुरातत्व विभाग को सौंपा
सपा और बसपा का गठबंधनवहीं 2019 लोकसभा चुनाव से पहले अखिलेश और माया साथ सबको चौंका दिया था । माना जा रहा था कि दोनों घोर विरोधी दल एक साथ नहीं आएंगे। मोदी की लहर रोकने के लिए सपा और बसपा ने गठबंधन करके चुनाव लड़ा लेकिन सपा को इसका कोई फायदा नहीं हुआ बल्कि नुकसान ही झेलना पड़ा । सपा से ज्यादा बसपा की सीट आई। लोकसभा चुनाव के बाद बसपा सुप्रीमों ने सपा से गठबंधन तोड़ दिया था।
इसलिए सपा अब कांग्रेस और बसपा साथ गठबंधन नहीं करना चाहती है क्यों कि वह इससे पहले गठबंधन करके देख दिया है। हांलाकि 2022 विधानसभा चुनाव में सपा ने छोटी पार्टियों से गठबंधन करके चुनाव लड़ा था । बता दें कि शिवपाल सिंह यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया), जयंत चौधरी के राष्ट्रीय लोक दल, ओमप्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी, केशव देव मौर्य के महान दल, कृष्णा पटेल के अपना दल (कमेरावादी) के साथ मिलकर एक मजबूत गठबंधन बनाया था। लेकिन यह गठबंधन विधानसभा चुनाव में जीत हासिल नहीं कर सका था लेकिन अच्छा प्रदर्शन करते हुए 111 सीटों पर सपा ने जीत हासिल की ।
यह भी पढ़ें
29 सितंबर को लखनऊ में सपा का होगा राष्ट्रीय सम्मेलन, चुनेगी अपना राष्ट्रीय अध्यक्ष
विधानसभा चुनाव के बाद सपा के गठबंधन सहयोगी रहे शिवपाल सिंह यादव, भारतीय सुहेलदेव समाज पार्टी के मुखिया ओम प्रकाश राजभर और महान दल के केशव मौर्य ने सपा से अपना गठबंधन छोड़ दिया है। 2024 लोकसभा चुनाव के लिए एक मजबूत विपक्ष बनाने की कवायद तेज
कहा जाता है कि दिल्ली की सत्ता पर वहीं विराजमान होगा जिसे यूपी बैठाएगा। यूपी में लोकसभा सर्वाधिक सीटें हैं। इसलिए यूपी में एक मजबूत होगा तभी बीजेपी को टक्कर दिया जा सकता है। तभी तो बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश ने जब एनडीए का साथ छोड़कर राजद से मिलकर सरकार बनाई और 2024 लोकसभा चुनाव की तैयारी में लग गए। नीतीश कुमार को भी पता है कि अगर दिल्ली जाना है तो यूपी में जीतना होगा। इसलिए वह दिल्ली आ करके सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मिलते हैं और कहते हैं कि अखिलेश यूपी में गठबंधन को लीड करेंगे । इसके अलावा बंगाल की सीएम ममता बनर्जी भी अखिलेश, नीतीश , हेमंत और के0सीआर के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की बात करती है।
कहा जाता है कि दिल्ली की सत्ता पर वहीं विराजमान होगा जिसे यूपी बैठाएगा। यूपी में लोकसभा सर्वाधिक सीटें हैं। इसलिए यूपी में एक मजबूत होगा तभी बीजेपी को टक्कर दिया जा सकता है। तभी तो बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश ने जब एनडीए का साथ छोड़कर राजद से मिलकर सरकार बनाई और 2024 लोकसभा चुनाव की तैयारी में लग गए। नीतीश कुमार को भी पता है कि अगर दिल्ली जाना है तो यूपी में जीतना होगा। इसलिए वह दिल्ली आ करके सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मिलते हैं और कहते हैं कि अखिलेश यूपी में गठबंधन को लीड करेंगे । इसके अलावा बंगाल की सीएम ममता बनर्जी भी अखिलेश, नीतीश , हेमंत और के0सीआर के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की बात करती है।
यह भी पढ़ें