यहां बाघों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए चार जून 2014 में पीलीभीत टाइगर रिजर्व घोषित किया गया था। उस दौरान पूरे जंगल में टाइगरों की कुल संख्या 25 थी। टाइगर रिजर्व बनने के बाद जंगल में बाघों की सुरक्षा व संरक्षण के लिए राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की गाइड लाइन पर कार्य किया गया। उसी का रिजल्ट रहा कि जब साल 2018 में प्राधिकरण ने यहां बाघों की गिनती कराई तो चार साल में ही बाघों की संख्या 25 से बढ़कर 65 होने की बात सामने आई।
13 देशों को पछाड़ कर बना नंबर वन पीटीआर ने 13 देशों को पछाड़ कर नंबर वन की पोजीशन हासिल की है। नेपाल भूटान, भारत, रूस, इंडोनेशिया, थाईलैंड, बांग्लादेश, पाकिस्तान आदि में मॉनीटरिंग के बाद ये तय हुआ है कि भारत में सबसे तेजी से बाघों की संख्या अगर कहीं बढ़ी है तो वो पीलीभीत जिला है। इसलिए पीलीभीत टाइगर रिजर्व को अंतरराष्ट्रीय ग्लोबल अवॉर्ड देने का फैसला किया गया।
वर्चुअल समारोह में बताया नंबर वन पीटीआर को वर्चुअल समारोह में नंबर वन की उपाधि दी गई है। दरअसल, यूनाइटेड नेशनल डवलपमेंट प्रोग्राम यानि यूएनडीपी और इंटरनेशनल यूनीयन फॉर कंजरवेशन ऑफ नेचर यानि आईयूसीएन की तरफ से आयोजित एक वर्चुअल समोराह में पीलीभीत के टाइगर रिजर्व को नंबर वन बताया गया है। यह संस्था बाघों पर किए जाने वाले काम और उनकी देखरेख के सिलसिले में किए जा रहे प्रयासों को देखती है।