भगवान शिव के 12 ज्योर्तिंलिंगों की जगह आज हम आपको उन शिव धामों के बारे में बता रहे हैं, जो पूरी दुनिया में अपनी अनोखी संरचना के कारण जाने जाते हैं। इनमें कोई एशिया का तो कोई दुनिया का सबसे ऊंचा शिवलिंग है। वहीं कुछ ऐसे भी शिवलिंग हैं जिनका क्षेत्रफल दुनिया के शिवमंदिरों में सबसे ज्यादा है। जबकि कुछ जगह एक ही मंदिर की परिसर में सैंकड़ों शिवलिंग व मंदिर हैं।
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1. अर्जुनधारा शिवलिंग :नेपाल के अर्जुनधारा में विशाल शिवलिंग की स्थापना की गई है। हालांकि इस शिवलिंग का कोई पुरातत्वविक इतिहास नहीं है लेकिन यहां आश्र्चय की बातें देखने मिलती हैं। मंदिर के शिवलिंग की ऊंचाई 151 फीट बतायी जाती है। वर्ष 2015 में नेपाल में आए भूकंप में मंदिर के कुछ हिस्से क्षतिग्रस्त हुए लेकिन शिवलिंग ज्यों का त्यों बना हुआ है।
कर्नाटक के कोलार जिले के एक छोटे से गांव काम्मासांदरा में कोटिलिंगेश्वर धाम बसा हुआ है। इस मंदिर के शिवलिंग की ऊंचाई 108 फीट है। मंदिर के चारों ओर करीब 1 करोड़ छोटे-छोटे शिवलिंग भी स्थापित किए गए हैं। शिवलिंग के पास 35 फीट ऊंचाई वाले नंदी, 4 फीट ऊंचे और 40 फुट चौड़े चबूतरे पर स्थापित हैं।
भोपाल से 30 किमी. दूर रायसेन जिले मे स्थित भोजपुर का शिवमंदिर भारतीय पुरातत्व का अनोखा नमूना है। लेकिन इसमें सबसे खास है यहां का शिवलिंग। कहा जाता है कि यह शिवलिंग पानल सहित एक ही चट्टान से बना है, जिसकी ऊंचाई 22 फीट है। यहां 17 फीट उंचे चबूतरे पर मंदिर का निर्माण किया गया है। वहीं इस शिव मंदिर की ऊंचाई 106 फीट और चौड़ाई 77 फीट है। माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण राजा भोज ने एक ही रात में करवाया था। वहीं मंदिर का कुछ हिस्सा आज भी अधूरा है।
झारखंड के गिरिडीह जिले के बगोदर में स्थित है हरिहर धाम। इस शिवलिंग की ऊंचाई 65 फीट है। यह शिवलिंग एक मंदिर है। जबकि इसके अंदर छोटा सा एक और शिवलिंग स्थापित है, जिसकी पूजा की जाती है। ऐसा कहा जाता है कि शिवलिंग निर्माण में लगभग 30 साल का समय लगा था। यह धाम चट मंगनी पट ब्याह के लिए काफी प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि इस मंदिर में होने वाली शादियों का आंकड़ा अपने पिछले वर्ष से हर साल ज्यादा हो जाता है।
2003 में बेरला में 62 फीट ऊंचे शिवलिंग का निर्माण करवाया गया था। इस शिवलिंग की नींव जमीन में 10 फीट गहराई का गढ्ढा खोदकर रखी गई है। मंदिर में गर्भगृह का निर्माण किया गया है। जहां छोटा शिवलिंग विराजमान है। भक्त यहीं पूजा करते हैं। सावन माह में यहां खास मेला आयोजित होता है। शिवरात्रि पर एक रात पहले से ही महाअभिषेक शुरू होता है जो अगले दिन तक चलता है।
गोकर्ण का महाबलेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर 1500 साल पुराना है। यह कर्नाटक के सात मुक्तिस्थलों में से एक माना जाता है। कहा जाता है कि यहां स्थापित छह फीट ऊंचे शिवलिंग के दर्शन 40 साल में सिर्फ एक बार होते हैं। अपनी इस धार्मिक मान्यता के चलते इस जगह को ‘दक्षिण का काशी’ के नाम से भी जाना जाता है।
अरुणाचल प्रदेश के सुबंसरी जिले के जीरो में 25 फीट ऊंचे और 22 फीट चौड़े शिवलिंग की खोज की गई है। यह पुरातत्व की दृष्टि से भी खास है। इसकी खोज साल 2004 में एक लकड़हारे प्रेम सुब्बा ने की थी। इसके आसपास पार्वती और कर्तिकेय की प्रतिमाएं भी मिली हैं। शिवलिंग के ठीक नीचे जमीन में पानी का तेज प्रवाह है। शिवलिंग के ऊपरी हिस्से पर स्टफिक की माला की आकृति दिखायी देती है।
छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिला मुख्यालय से तीन किलोमीटर दूर घने जंगलों के बीच बसा है गांव मरौदा। जहां प्रकृति प्रदत्त शिवलिंग विराजमान है। इस शिवलिंग के बारे में बताया जाता है। यह जमीन से लगभग 18 फीट ऊंचा और 20 फीट गोलाकार है। इस बारे में पारा गांव के लोग बताते हैं कि पहले यह टीला छोटे रूप में था, धीरे-धीरे इसकी ऊंचाई एवं गोलाई बढ़ती गई, जो आज भी जारी है। इस शिवलिंग में प्रकृति प्रदत जल लहरी भी दिखाई देती है। जो धीरे धीरे जमीन के ऊपर आती जा रही है।
देवभूमि उत्तरांचल के अलमोड़ा से करीब 35 किलोमीटर दूर स्थित जागेश्वर धाम समुद्रतल से लगभग 6200 फुट की ऊंचाई पर स्थित है। जागेश्वर धाम मंदिर के परिसर में ही करीब 124 मंदिर मौजूद हैं और यह सभी मंदिर भगवान शिव के ही है। बताया जाता है कि यहां पूर्व में लगभग 250 मंदिर थे, जिनमें से एक ही स्थान पर छोटे-बड़े 224 मंदिर स्थित थे।
फरीदाबाद के सैनिक कॉलोनी, सेक्टर 49 में स्थिति एक शिवमंदिर में 21 फीट उंचा शिवलिंग है, जिसके बारे में कहा जाता है कि ये पूरा शिवलिंग एक ही चट्टान से बनाया गया है।