इसके बाद पूर्वाषाढ़ा ‘उग्र व अधोमुख’ संज्ञक नक्षत्र है। मूल नक्षत्र में यज्ञोपवीत, जलपूजन, वास्तु शांति व विवाहादि कार्य किए जाने योग्य हैं।
•Mar 10, 2018 / 09:54 am•
सुनील शर्मा
नवमी रिक्ता संज्ञक शुभ तिथि संपूर्ण दिवारात्रि है। नवमी तिथि में विग्रह, कलह, जुआ, मद्य, आखेट व अग्निविषादिक असद् कार्य विशेष रूप से सिद्ध होते हैं। शुभ व मांगलिक कार्य शुभ नहीं होते। पर किसी शुभकार्यारंभ के समय लग्न में केन्द्र या त्रिकोण स्थान में कोई शुभ ग्रह स्थित हो तो रिक्ता तिथि का दोष परिहृत हो जाता है।
नक्षत्र: मूल ‘तीक्ष्ण व अधोमुख’ संज्ञक नक्षत्र अंतरात्रि सूर्योदय पूर्व प्रात: ६.२८ तक है। इसके बाद पूर्वाषाढ़ा ‘उग्र व अधोमुख’ संज्ञक नक्षत्र है। मूल नक्षत्र में यज्ञोपवीत, जलपूजन, वास्तु शांति व विवाहादि कार्य किए जाने योग्य हैं। पर यह गंडान्त संज्ञक नक्षत्र भी है। अत: इस नक्षत्र में जन्मे जातकों की २७ दिन बाद जब मूल नक्षत्र की पुनरावृत्ति हो उस दिन मूल शांति करा लेना जातकों के हित में होगा।
योग: सिद्धि नामक नैसर्गिक शुभ योग सायं ६.४२ तक, इसके बाद व्यतिपात नामक अत्यंत उपद्रवी व बाधाकारक योग है। व्यतिपात नामक योग में सभी शुभ व मांगलिक कार्य सर्वथा वर्जित है। करण: तैतिल नामकरण सायं ७.१८ तक, इसके बाद गरादि करण रहेंगे।
श्रेष्ठ चौघडि़ए: आज प्रात: ८.१४ से ९.४२ तक शुभ तथा दोपहर १२.३७ से सायं ५.०१ तक क्रमश: चर, लाभ व अमृत के श्रेष्ठ चौघडि़ए हैं एवं दोपहर १२.१४ से १.०० तक अभिजित नामक श्रेष्ठ मुहूर्त है, जो आवश्यक शुभकार्यारम्भ के लिए अत्युत्तम हैं।
शुभ मुहूर्त: उपर्युक्त शुभाशुभ समय, तिथि, वार, नक्षत्र व योगानुसार आज मूल नक्षत्र में (विवाह का भौम युति दोष युक्त) अति आवश्यकता में अशुद्ध व उत्तराषाढ़ा में शुभ मुहूर्त हैं।
व्रतोत्सव: आज भगवान आदिनाथ जयंती व तप कल्याणक दिवस (जैन) है। चन्द्रमा: चन्द्रमा सम्पूर्ण दिवारात्रि धनु राशि में है। दिशाशूल: शनिवार को पूर्व दिशा की यात्रा में दिशाशूल रहता है। पर आज धनु राशि के चन्द्रमा का वास पूर्व दिशा की यात्रा में सम्मुख होगा। यात्रा में सम्मुख चन्द्रमा धनलाभ कराने वाला व शुभप्रद माना गया है। राहुकाल: प्रात: ९.०० से १०.३० बजे तक राहुकाल वेला में शुभकार्यारंभ यथासंभव वर्जित रखना हितकर है।
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