बौद्ध भिक्षु ने बनवाया था मंदिर बताया जाता है कि इस का निर्माण बौद्ध भिक्षु Pra Kru Vishanjalikon ने करवाया था। दरअसल, वे लोगों को बताना चाहते थे कि जो लोग दूसरे को पीड़ा पहुंचाते हैं, पाप करते हैं उसका परिणाम अंत में दुखदायी होता है। कहा जाता है कि इसी का परिकल्पना करते हुए उन्होंने इस मंदिर का निर्माण करवाया ताकि लोग मृत्यु के बाद आत्मा द्वारा भोगे जाने वाले कष्टों को देख सकें।
यहां पर जो भी मूर्तियां लगाई गईं है उसे देखकर यह मंदिर आपको नर्क की तरह दिखाई देता है। बता दें कि इस मंदिर में किसी भी देवी-देवता की मूर्ति नहीं है। यहां जो भी मूर्तियां लगी है, उसे देखकर आप नर्क की पीड़ा और कष्टों को महसूस कर सकते हैं।
पश्चताप करते आते हैं श्रद्धलु यहां आने वाले श्रद्धालु पापों का प्रयाश्चित और पश्चताप करने के लिए आते हैं। इस मंदिर को वैट मे कैट नोई ( wat mae kaet noi ) मंदिर कहा जाता है। मान्यता है कि यहां जो भी दर्शन करने आता उसके पापों का प्रायश्चित हो जाता है।