पश्चिम की ओर देखती हैं मां लक्ष्मी माना जाता है कि मंदिर में माता लक्ष्मी की मूर्ति के प्रत्येक हिस्से की सूर्य की किरणें अलग-अलग दिन दर्शन करती हैं। मंदिर की पश्चिमी दीवार पर एक खिड़की है जिसमें से सूर्य की रोशनी आती है और माता की मूर्ति को स्पर्श करती है। रथ सप्तमी के दिन सूर्य देव माता लक्ष्मी के चरण छूते हैं। हर वर्ष जनवरी माह में ऐसा होता है। अधिकतर मंदिरों में देवी-देवता पूर्व या उत्तर दिशा की ओर देख रहे होते हैं लेकिन इस मंदिर में माता लक्ष्मी का चेहरा पश्चिम दिशा की तरफ है।
अम्बा माता का मंदिर के नाम से है विख्यात पुराणों के अनुसार, शक्ति पीठों में मां शक्ति उपस्थित होकर भक्तों की मनोकामना पूरी करती हैं। माना जाता है कि इस मंदिर में जो भक्त इच्छा लेकर आता है वो पूर्ण हो जाती है। इस मंदिर को अम्बा माता का मंदिर के नाम से जाना जाता है। यहां पर माता लक्ष्मी भगवान विष्णु के साथ निवास करती हैं।
राजा कर्णदेव ने कराया था मंदिर का निर्माण इस मंदिर का निर्माण 7वीं शताब्दी में चालुक्य वंश के राजा कर्णदेव ने कराया था। बताया जाता है कि मंदिर का निर्माण अधुरा रह गया था, जिसे 9वीं शताब्दी में पूरा किया गया था। यह मंदिर 27 हजार वर्ग फुट में फैला हुआ है। मंदिर करीब 45 फीट ऊंचा है। इस मंदिर में स्थापित माता लक्ष्मी की मूर्ति 4 फीट ऊंची है। बताया जाता है कि माता की प्रतिमा करीब 7 हजार वर्ष पुरानी है। आदि गुरु शंकराचार्य ने माता लक्ष्मी की मूर्ति में प्राण-प्रतिष्ठा की थी।