गज की प्रार्थना सुनकर कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु ने उपस्थित होकर सुदर्शन चक्र चलाकर उसे ग्राह से मुक्त किया और गज की जान बचाई। इस मौके पर सारे देवताओं ने यहां उपस्थित होकर जयकार की थी। लेकिन आज तक यह साफ नहीं हो पाया कि गज और ग्राह में कौन विजयी हुआ और कौन हारा?
एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, जय और विजय दो भाई थे। जय शिव के तथा विजय विष्णु के भक्त थे। इन दोनों में झगड़ा हो गया और दोनों गज और ग्राह बन गए। बाद में दोनों में मित्रता हो गई। उस क्षेत्र में शिव और विष्णु के मंदिर साथ-साथ बने, जिस कारण इसका नाम हरिहर क्षेत्र पड़ा।
एक अन्य कथा अनुसार, प्राचीन काल में यहां ऋषियों और साधुओं का एक विशाल सम्मेलन हुआ। शैव और वैष्णव के बीच गंभीर वाद-विवाद खड़ा हो गया लेकिन बाद में दोनों में सुलह हो गई और शिव तथा विष्णु दोनों की मूर्तियों की एक ही मंदिर में स्थापना कर दी गई।
इसी स्मृति में सोनपुर में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर मेला आयोजित किया जाता है। इस स्थान के बारे में कई धर्म शास्त्रों में चर्चा की गई है। कहा तो यह भी जाता है कि कभी भगवान राम भी यहां आये थे और बाबा हरिहरनाथ की पूजा-अर्चना की थी। गौरतलब है कि सोनपुर में विश्व का सबसे बड़ा पशु मेला लगता है, जो कार्तिक पूर्णिमा से शुरू होता है और अगले 30 दिनों तक चलता है।