ये भी पढ़ें- इस ऋषि की तपस्या से प्रसन्न होकर मां भगवती बन गईं थी इनकी बेटी इस मंदिर का शिलान्यास 1974 में किया गया था। कहा जाता है कि यहां पर पहले कुटिया हुआ करती थी। अब यह मंदिर 70 एकड़ में फैल गया है। इस मंदिर को पूरी तरह संगमरमर से बनवाया गया है। वास्तुकाल की दृष्टि से देखा जाए तो यह मंदिर अद्भुत है। इस तरह की वास्तुराल वेसरा वास्तुकला कहा जाता है।
यहां बांधें मन्नत की चुनरी मां कात्यायनी के इस दरबार में प्रवेश करेंगे तो आपको एक बड़ा सा पेड़ दिखाई देगा। मान्यता है कि यहां चुनरी बांधने से सभी तरह की मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। यही कारण है कि यह पेड़ मन्नत की चुनरी, धागे, चूड़ी आदि से पूरी तरह से ढंक गया है।
70 एकड़ में है मां का दरबार मां कात्यायनी का यह दरबार लगभग 70 एकड़ में फैला हुआ है। 20 से अधिक छोटे और बड़े मंदिरों को तीन अलग-अलग परिसरों में विभाजित किया गया है। मंदिर परिसार में नवदुर्गा का एक शयनकक्ष भी है, जहां पर बिस्तर, दोसारी मेज, नौ कुर्सियों के साथ मीटिंग टेबल भी है। बताया जाता है कि ये सभी चीजें चांदी के बने हुए हैं। इसके अलावा यहां पर भगवान गणेश, भगवान राम, भगवान हनुमान और भगवान शिव की भी मंदिर है।