बताया जाता है कि इस गांव पर भगवान शिव की ऐसी महिमा है कि यहां जो भी आता है उसकी गरीबी दूर हो जाती है। जानकार बताते हैं कि इस गांव को श्रापमुक्त गांव का दर्जा मिला हुआ है। यानि कि यहां आने पर व्यक्ति सभी पापों से मुक्त हो जाता है। यह गांव बदरीनाथ धाम से लगभग 4 किमी दूर है।
क्या है पौराणिक कथा पौराणिक कथा के अनुसार, यहां पर माणिक शाह नाम का एक व्यापारी रहता था, जो भगवान शिव का बड़ा भक्त था। बताया जाता है कि एक वह व्यापार के सिलसिले में कहीं जा रहा था, इसी दौरान लुटेरों ने उसका सिर काटकर हत्या कर दी। इसके बावजूद उसकी गर्दन शिव का जप कर रहा था। उसकी श्रद्धा देखकर भगवान शिव बहुत प्रसन्न हुए और उसके सिर पर वराह का सिर लगा दिया। भगवान शिव ने मणिक शाह को वरदान दिया कि जो भी माणा गांव आयेगा, उसकी गरीबी दूर हो जाएगी और वह अमीर हो जाएगा। तब से ही यहां पर मणिभद्र की पूजा होती है।
इसी गांव से होकर स्वर्गरोहिणी सीढ़ी तक गए थे पांडव पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान गणेश ने महर्षि वेद व्यास के कहने पर इसी गांव में महाभारत की रचना की थी। यही नहीं, महर्षि वेद व्यास ने यहीं पर वेद और पुराण की भी रचना की थी। बताया जाता है कि महाभारत युद्ध खत्म होने पर पांडव इसी गांव से होकर स्वर्ग जाने वाली स्वर्गरोहिणी सीढ़ी तक गए थे।