जबकि इनके बाद भगवान बदरी विशाल के कपाट देव उठनी एकादशी के 6 दिन बाद यानि शनिवार, 20 नवंबर को बंद कर दिए जाएंगे। वहीं शीतकाल के लिए भगवान पंच केदार के कपाट बंद होने की तिथि की भी घोषणा कर दी गई है।
सामने आ रही जानकारी के अनुसार शीतकाल के लिए कपाट बंद होने से पहले चारधामों में दर्शन के लिए तीर्थ यात्रियों की तादाद में इजाफा देखने को मिल रहा है। ऐसे में अब तक करीब सवा लाख यात्रियों ने बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री धाम के दर्शन कर लिए हैं। उत्तराखंड देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के अनुसार गुरुवार तक चारधामों में 1,14,195 तीर्थ यात्री द्वारा दर्शन किए जा चुके हैं।
चारों धामों के कपाट बंद होने की तिथियों की घोषणा के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि कपाट बंद होने तक प्रदेश में बिना रुकावट चारधाम यात्रा चलती रहेगी। वहीं इस दौरान पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज का कहना था कि हर साल निर्धारित परंपराओं के अनुसार कपाट बंद होते हैं। ऐसे में कोरोना के कारण भले ही इस साल चारधाम यात्रा प्रभावित हुई हो, लेकिन फिर भी लोगों की आस्था में कोई कमी नहीं आई।
इस दिन से बंद होंगे कपाट: गंगोत्री, यमुनोत्री
विश्व प्रसिद्ध गंगोत्री धाम और यमुनोत्री धाम की समितियों ने कपाट बंद करने की तिथियों का ऐलान करते हुए बताया कि शीतकाल के लिए गंगोत्री धाम के कपाट शुक्रवार, 5 नवंबर को अन्नकूट पर्व पर 11:45 AM पर 6 माह के विधि-विधान के साथ बंद कर दिए जाएंगे।
इस दौरान मां गंगा के दर्शन मुखबा में होंगे। गंगोत्री मंदिर समिति से मिली जानकारी के अनुसार मां गंगा जी की भोगमूर्ति शुक्रवार, 5 नवंबर को रात्रि विश्राम मार्कण्डेयपुरी में करेगी, जबकि 6 नवंबर को भैयादूज पर मां गंगा मुखबा में विराजमान होंगी।
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वहीं यमुनोत्री धाम के कपाट भैयादूज के दिन 12:15 PM पर शनिवार,6 नवंबर को शीतकाल के 6 माह के लिए बंद किए जाएंगे। इस दौरान यानि शीतकाल में मां यमुना जी के दर्शन खरसाली में होंगे। यमुनोत्री धाम मन्दिर समिति से मिली जानकारी के अनुसार मां यमुना जी की भोगमूर्ति अपने भाई शनि महाराज की डोली के साथ शीतकालीन प्रवास खरसाली के लिए रवाना होगी और उसी दिन शाम को अपने शीतकालीन प्रवास पहुंच जाएगी।
केदारनाथ: भगवान शिव के 12 ज्योर्तिलिंग में से एक केदारनाथ धाम के कपाट भी शीतकाल के लिए भैयादूज पर यानि शनिवार,6 नवंबर को बंद कर दिये जाएंगे। इसके बाद बाबा केदार की डोली शीतकालीन मुख्य गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर,ऊखीमठ लाई जाएगी। इस दौरान यहां बाबा केदार की पंचमुखी चल उत्सव विग्रह डोली के दर्शन होंगे। और यहीं इस छह महीनों के दौरान बाबा केदार की पूजा-अर्चना की जाएगी।
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बदरीनाथ: विजयदशमी के दिन विधि-विधान से पंचाग गणना के पश्चात विश्व प्रसिद्ध आंठवे बैकुण्ठ बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने की भी तिथि घोषित कर दी गई है। जिसके तहत भगवान बदरीनाथ के कपाट शीतकाल के लिए देवउठनी एकादशी के 6 दिनों बाद यानि शनिवार,20 नवंबर को 6:45 PM पर बंद किए जाएंगे। शीतकाल के दौरान भगवान बदरी विशाल का प्रवास जोशीमठ के नृसिंह मंदिर में रहेगा।
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पंच केदार : इन सब के अलावा पंच केदार के कपाट बंद होने की तिथि की भी घोषणा कर दी गई है। जिसके मुताबिक द्वितीय केदार भगवान मध्यमहेश्वर के कपाट शीतकाल के लिए सोमवार,22 नवंबर को 08:30 AM पर बंद किए जाएंगे। वहीं इससे पहले तृतीय केदार तुंगनाथ के कपाट शनिवार, 30 अक्टूबर को 01 PM पर बंद होंगे।
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जबकि तृतीय केदार तुंगनाथ के कपाट बंद होने की तिथि शीतकालीन गद्दीस्थल मार्कंडेय मंदिर मक्कूमठ में तय हो गई है। कपाट बंद होने के बाद भगवान मध्यमहेश्वर की चलविग्रह डोली सोमवार, 22 नवंबर को गौंडार, मंगलवार,23 नवंबर को रांसी, बुधवार, 24 नवंबर को गिरिया प्रवास करेगी। वहीं बृहस्पतिवार, 25 नवंबर को चल विग्रह डोली ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ पहुंचेगी। जिसके बाद 25 नवंबर को मध्यमहेश्वर मेला लगेगा।