ये भी पढ़ें- भगवान विष्णु का 394वां नाम है राम, जानें भगवान राम के बारे में ये रोचक बातें लेकिन भगवान राम का एक ऐसा मंदिर भी भारतवर्ष में मौजूद है, जहां उनके साथ माता सीता और लक्ष्मण नहीं बल्कि कौशल्या माता विराजमान हैं। शायद यह देश का एक मात्र ऐसा मंदिर है, जहां श्रीराम माता कौशल्या की गोद में बैठे हैं।
मंदिर की मुख्य मूर्ति माता कौशल्या की है और यह मंदिर ‘कौशल्या मंदिर’ के नाम से प्रसिद्ध है। ऐसा मंदिर देशभर में कहीं नहीं है। मंदिर के गर्भगृह में कौशल्या माता की गोद में बालरुप में रामजी विराजमान हैं।
इसके अलावा इस मंदिर में भगवान शिव और नंदी की विशाल प्रतिमाएं हैं। मंदिर के मुख्य द्वार पर हनुमानजी की प्रतिमा लगी हुई है। सात तालाबों से घिरे जलसेन तालाब के बीच में एक द्वीप है और इसी द्वीप पर मां कौशल्या का मंदिर है।
हम जिस प्राचीन और अद्भुत मंदिर की बात कर रहे हैं, वह मंदिर छत्तीसगढ़ के चंद्रखुरी में स्थित है। मंदिर में माता कौशल्या-श्रीराम के अलावा शिव जी और नंदी की प्रतिमाएं भी स्थापित है। वहीं, मंदिर के मुख्य द्वार पर हनुमान जी की विशाल प्रतिमा लगी हुई है।
मंदिर को लेकर लोगों की मान्यता है कि यहां पर सीताफल का एक खास पेड़ लगा हुआ है, जिसे ‘मन्नत का पेड़’ कहा जाता है। लोगों का मानना है कि इस मन्नत के पेड़ पर पर्ची में अपना नाम लिखकर उसे श्रीफल के साथ बांधने से मुरादें पूरी हो जाती है।
पौराणिक मान्यताएं पौराणिक कथाओं के अनुसार, यहां पर एक पेड़ के नीचे सुषेण वैद्य की समाधि है। रामायण के अनुसार, सुषेण लंका के राजा रावण का राजवैद्य था। जब रावण के पुत्र मेघनाद के साथ हुए युद्ध में लक्ष्मण मूर्छित हो गए, तब सुषेण ने ही संजीवनी बूटी मंगाकर लक्ष्मण के प्राण बचाए थे।
कहा जाता है कि जब रावण का वध कर के भगवान श्रीराम वापस अयोध्या आए तो सुषेण वैद्य भी उनके साथ आ गए और यहीं पर उन्होंने अपने प्राणों का त्याग किया, इसलिए उनकी समाधि यहां बनाई गई।