धार्मिक परंपरा के अनुसार, भगवान बद्रीनाथ धाम में छह महीने मनुष्य और छह महीने देवता पूजा होती है। शीतकाल के दौरान देवर्षि नारद यहां भगवान नारायण की पूजा करते हैं। इस दौरान भगवान बद्री विशाल के मंदिर में सुरक्षा कर्मियों के सिवा और कोई भी नहीं रहता। मान्यता है कि हर साल वैशाख मास की अक्षय तृतीया तिथि को ही भगवान बद्रीनाथ के 6 मास से बंद कपाट विधिवत पूजा अर्चना के बाद खुलते हैं।
आदि जगद गुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित चार धामों में से एक बद्रीनाथ धाम भगवान श्रीविष्णु का निवास स्थल है। पुराणों में भी इस मंदिर का विशेष वर्णन किया गया है। भगवान बद्रीनाथ का आशीर्वाद पाने की कामना से भक्त बड़ी संख्या में हर साल बद्री विशाल के मंदिर में दर्शन के लिए जाते हैं। अब से लेकर अगले 6 महीने तक भगवान श्री बद्रीनारायण यहां अपने प्रिय भक्तों को दर्शन देंगे।
भगवान बद्रीनाथ धाम से जुड़ी खास बातें
1- बद्रीनाथ धाम से जुड़ी एक मान्यता है कि ‘जो आए बदरी, वो न आए ओदरी’, इसका मतलब जो व्यक्ति बद्रीनाथ के दर्शन एक बार कर लेता है उसे दोबारा माता के गर्भ में नहीं प्रवेश करना पड़ता।
2- भगवान बद्रीनाथ के बारे में कहा जाता है कि पहले भगवान भोलेनाथ यहां निवास करते थे, लेकिन बाद में भगवान विष्णु ने इस स्थान को भगवान शिव से मांग लिया और यहीं निवास करने लगें।
3- बद्रीनाथ धाम दो पर्वतों के बीच बसा है, इन्हें नर नारायण पर्वत कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि यहां भगवान विष्णु के अंश नर और नारायण ने तपस्या की थी।
4- मान्यता है कि भगवान बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलते समय मंदिर में जलने वाले अखंड दीपक के दर्शन मात्र से मनोकामना पूरी हो जाती है। कहा जाता है कि 6 महीने तक बंद दरवाजे के अंदर देवता ही इस दीपक को जलाए रखते हैं।
5- ऐसा कहा जाता है कि स्वर्ग का रास्ता बद्रीनाथ धाम से ही होकर जाता है, क्योंकि यहां नारायण स्वयं विराजते हैं।
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