मृगशिर ‘मृदु व तिङ्र्यंमुख’ संज्ञक नक्षत्र अंतरात्रि १.४२ तक, फिर आद्र्रा ‘तीक्ष्ण व ऊध्र्वमुख’ संज्ञक नक्षत्र है।
•Jan 28, 2018 / 09:47 am•
सुनील शर्मा
एकादशी नन्दा संज्ञक तिथि प्रात: ८.२८ तक, फिर अंतरात्रि सूर्योदय पूर्व प्रात: ५.१८ तक द्वादशी भद्रा संज्ञक तिथि, इसके बाद त्रयोदशी जया संज्ञक तिथि प्रारम्भ हो जाएगी। इस प्रकार आज द्वादशी तिथि का क्षय हुआ है। एकादशी में यज्ञोपवीत, विवाहादि मांगलिक कार्य, देवकार्य, गृहारम्भ, व्रतोपवास, यात्रा, प्रवेश व अलंकारादि कार्य और द्वादशी में सभी चर-स्थिर कार्य, विवाह और जनेऊ आदि के कार्य शुभ कहे गए हैं। द्वादशी में यात्रा नहीं करना चाहिए। अभी शुक्र अस्त है। शुक्रास्त में विवाहादि मांगलिक कार्य वर्जित है।
नक्षत्र: मृगशिर ‘मृदु व तिङ्र्यंमुख’ संज्ञक नक्षत्र अंतरात्रि १.४२ तक, फिर आद्र्रा ‘तीक्ष्ण व ऊध्र्वमुख’ संज्ञक नक्षत्र है। मृगशिरा में यदि समयादि शुद्ध हो तो विवाह, यज्ञोपवीत, यात्रा, देवप्रतिष्ठा, वास्तु (घर) और कृषि सम्बंधी कार्य शुभ व सिद्ध होते हैं। आद्र्रा नक्षत्र में यथा आवश्यक लड़ाई, बंधन, छेदन, मारण, अग्निविषादिक असद् कार्य और विद्यादि कार्य प्रशस्त हैं। चंद्रमा: दोपहर बाद २.५६ तक वृष राशि में, इसके बाद मिथुन राशि में है। श्रेष्ठ चौघडि़ए : आज प्रात: ८.३९ से दोपहर १२.४० तक क्रमश: चर, लाभ व अमृत तथा दोपहर बाद २.०० से अपराह्न ३.२० तक शुभ के श्रेष्ठ चौघडि़ए हैं एवं दोपहर १२.१८ से दोपहर १.०१ तक अभिजित नामक श्रेष्ठ मुहूर्त है, जो आवश्यक शुभकार्यारम्भ के लिए अत्युत्तम हैं।
वारकृत्य कार्य: रविवार को स्थिर संज्ञक कार्य, राज्याभिषेक, ललित कला सीखना, राज्यसेवा, पशु क्रय, औषध निर्माण, धातु कार्य, यज्ञादि-मंत्रोपदेश आदि कार्य शुभ माने गए हैं। दिशाशूल : रविवार को पश्चिम दिशा की यात्रा में दिशाशूल रहता है। पर चंद्र स्थिति के अनुसार आज दोपहर बाद २.५६ तक दक्षिण दिशा की, फिर पश्चिम दिशा की यात्रा लाभदायक व शुभप्रद है। राहुकालः सायं ४.३० बजे से सायं ६.०० बजे तक राहुकाल वेला में शुभ कार्यारंभ यथासंभव वर्जित रखना हितकर है।
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