द्वादश ज्योतिर्लिंग
मान्यता के अनुसार महान भगवान शिव अत्यंत भोले हैं इसी कारण इनका एक नाम भोलेनाथ भी है, माना जाता है कि यह अपने समस्त भक्तों को मोक्ष प्रदान करते हैं। भगवान शिव का प्रतिनिधित्व शिवलिंग भी करते हैं, इनमें भी सबसे अनूठे और दिव्य 12 ज्योतिर्लिंग हैं। इन 12 ज्योतिर्लिंगों को द्वादश ज्योतिर्लिंग भी कहा जाता है, जो सनातन धर्म में पूजा के विशेष स्थल हैं। यह भी मान्यता है कि 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करने से व्यक्ति जीवन और मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाता है।
ज्योतिर्लिंग दरअसल भगवान शिव के प्रतीक हैं, भगवान शिव की असीमता और भव्यता के प्रतीक यह शिवलिंग अज्ञात काल से भक्तों को लुभाते आ रहे हैं। पूरे विश्व से आध्यात्मिक शांति प्राप्त करने के लिए भक्त भगवान शिव के इन पवित्र मंदिरों के दर्शन के लिए यहां आते हैं। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग इस प्रकार हैं…
1. सोमनाथ मंदिर
2. मल्लिकार्जुन मंदिर,
3. महाकालेश्वर मंदिर,
4. ओंकारेश्वर मंदिर और ममलेश्वर मंदिर,
5. बैद्यनाथ धाम,
6. भीमाशंकर मंदिर,
7. रामनाथस्वामी मंदिर,
8. रामेश्वरम
9. नागेश्वर मंदिर,
10. विश्वनाथ मंदिर,
11. त्र्यंबकेश्वर मंदिर,
12. केदारनाथ मंदिर
ज्योतिर्लिंग का अर्थ
ज्योतिर्लिंग यानि भगवान शिव का दीप्तिमान प्रतीक, आम तौर पर शिव के प्रतिक को ही शिवलिंग कहा जाता है।
चलिए जानते हैं 12 ज्योतिर्लिंगों के नाम और स्थान-
1. सोमनाथ ज्योतिर्लिंग
यह ज्योतिर्लिंग गुजरात के सोमनाथ में स्थित है। किंवदंतियों के अनुसार, इस मंदिर को सोम यानि स्वयं मूल भगवान ने बनाया था। सोमनाथ को हिंदू धार्मिक महत्व का प्रतीक माना जाता है।
2. नागेश्वर ज्योतिर्लिंग
सोमनाथ के बाद गुजरात में एक और ज्योतिर्लिंग है, जिसे नागेश्वर कहा जाता है। द्वारका के पास नागेश्वर मंदिर स्थित है। शिव पुराण के अनुसार, ये मित्र ‘दारुकवनम’ में हैं जो जंगल का प्राचीन नाम है।
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स्थान- अल्मोड़ा, उत्तराखंड
वहीं दूसरी ओर नागेश्वर को लेकर कुछ लोगों का अलग विचार भी है दरअसल अनेक लोगों का ये भी मानना है कि उत्तराखंड का जागेश्वर धाम ही नागेश्वर ज्योतिर्लिंग है। एक ओर जहां यहां ज्योतिर्लिंग की पटिटका भी लगी है। वहीं शिव पुराण के अनुसार, ष्दारुकवनमष् का जिक्र इस स्थान को लेकर हुआ है और दारुकवन यानि देवदार के वन जो कि यहां पाए भी जाते हैं। इसके अलावा इस स्थान का कई धार्मिक पुस्तकों में जिक्र भी मिलता है। यहां भगवान शिव के पैर के निशान मौजूद होने के साथ ही मानसखंड में इसका जिक्र होने के अलावा ये भी मान्यता है कि यहीं पहला शिवलिंग है जहां से शिवलिंग के रूप में भगवान शिव की पूजा प्रारंभ हुई।
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3. काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग
भगवान शिव की नगरी काशी में गंगा नदी के तट पर स्थिति ज्योतिर्लिंग को विश्वनाथ कहा जाता है। दरअसल माना जाता है कि शिव ब्रह्मांड के शासक हैं, वहीं मान्यता के अनुसार, वे ब्रह्मांड पर भी शासन करते हैं और इसे नष्ट करने की शक्ति रखते हैं। इसे सभी ज्योतिर्लिंगों में सबसे प्रमुख माना जाता है।
4. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग
मध्यप्रदेश के उज्जैन में शिप्रा नदी के तट पर महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है। यहां श्दक्षिण मुखी्य है, क्योंकि इसका मुख दक्षिण की ओर है। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग को स्वयंभू माना जाता है। यानि महाकाल का जन्म स्वयं हुआ था और यहां कोई स्थापना नहीं हुई है। यहां ये भी जान लें कि महाकाल का संबंध मृत्यु से नहीं, काल से है। कहा जाता है कि महाकाल शिव अनंत यानी शाश्वत हैं।
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आंध्र प्रदेश के श्रीशैलम में श्री मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग मंदिर स्थित है। एक मान्यता के अनुसार, शिव और पार्वती अपने पुत्र कार्तिकेय के साथ रहने के लिए श्रीशैलम में रुके थे। यह शिव भक्तों का तीर्थस्थल है।
6. ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग
महाकालेश्वर के अलावा मध्यप्रदेश में दूसरा ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग है। जो नर्मदा नदी में एक द्वीप श्मण्डता्य पर स्थित है। मित्र द्वीप के आकार के ऊपर ही ओंकारेश्वर का नाम दिया गया है, क्योंकि यह ओम जैसा दिखता है। यहां भगवान शिव के दो मंदिर हैं, एक हैं ओंकारेश्वर यानि दूसरे हैं अमरेश्वर।
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देवभूमि उत्तराखंड में स्थिति केदारनाथ ज्योतिर्लिंग एक जाग्रत ज्योतिर्लिंग के रूप में माना जाता है। इसके दर्शन करना दर्शनार्थियों के लिए जो सबसे कठिन माना जाता है। केदारनाथ भी ऋषिकेश उत्तराखंड से 3583 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और मौसम की स्थिति के कारण यहां साल में केवल 6 महीने ही पहुंचा जा सकता है। मान्यता के अनुसार यह मंदिर पांडवों द्वारा बनाया गया था वहीं आदि शंकराचार्य भी यहां आए थे और उन्होंने इसका अनावरण किया था।
महाराष्ट्र में कुल तीन ज्योतिर्लिंग हैं, इनमें पहला ज्योतिर्लिंग भीमाशंकर खेड़ तालुकों के पास स्थित है। यह स्थान भीमा नदी का उद्गम स्थल है। 18वीं शताब्दी में इस मंदिर का निर्माण हुआ था। माना जाता है कि पहले के प्राचीन मंदिर का निर्माण स्वयंभू शिवलिंग के लिए किया गया था।
महाराष्ट्र में ही दूसरा ज्योतिर्लिंग त्र्यंबकेश्वर है। भगवान शिव का यह मंदिर नासिक शहर में ब्रह्मगिरी पर्वत पर स्थित है। शिव पुराण के अनुसार, गोदावरी और गौतम ऋषि के अनुरोध पर, भगवान शिव ने त्र्यंबकेश्वर में निवास करने का फैसला किया था।
10. घनेश्वर ज्योतिर्लिंग
महाराष्ट्र का तीसरा ज्योतिर्लिंग घनेश्वर के रूप में औरंगाबाद में स्थित है। यह घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग या घनेश्वर ज्योतिर्लिंग भी कहा जाता है और कुछ लोगों के द्वारा इसे दुष्मेश्वर ज्योतिर्लिंग भी कहा जाता है। यहां घृष्णेश्वर का मतलब करुणा के भगवान।
झारखंड के देवघर में बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग स्थित है और इसका नाम वैद्य इसलिए गया है क्योंकि यहीं पर शिव ने रावण को ठीक किया था। भगवान शिव का अन्नय भक्त होने के कारण ही रावण पर भगवान शिव प्रसन्न हुए और उसका इलाज किया। यहां ये भी जान लें कि वैद्य यानि डॉक्टर होता है, ऐसे में रावण का इलाज करने के कारण इस ज्योतिर्लिंग का नाम बैद्यनाथ पड़ा।
तमिलनाडु के रामेश्वरम द्वीप पर रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग स्थापित है, इस ज्योतिर्लिंग का संबंध भगवान राम से माना जाता है। मान्यता है कि भगवान राम के द्वारा लंका युद्ध से पहले ने एक शिवलिंग बनाकर उनकी पूजा की गई और जिस शिवलिंग की उन्होंने पूजा की, आज उसे ही रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग नाम से जाना जाता है।