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संस्कृत में है हर जिज्ञासा का समाधान: पंकज ओझा

संगीत रचना और भाषण-वाद विवाद से माघ महोत्सव की शुरुआत

Feb 17, 2022 / 09:04 pm

Anurag Trivedi

संस्कृत में है हर जिज्ञासा का समाधान: पंकज ओझा

अनुराग त्रिवेदी
जयपुर. आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में राजस्थान संस्कृत अकादमी की ओर से बुधवार को एक महीने के माघ महोत्सव का शुभारम्भ हुआ। कला एवं संस्कृति विभाग के संयुक्त शासन सचिव पंकज ओझा ने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच दीप प्रज्जवन कर समारोह की शुरुआत की। इस मौके पर संभागीय संस्कृत शिक्षा अधिकारी चंद्र प्रकाश शर्मा, संस्कृत विद्वान शिव चरण शर्मा और एसएसइटी महापुरा की उप निदेशक मनीषी लालस सहित कई संस्कृत विद्वान भी मौजूद थे। इस मौके पर पंकज ओझा ने कहा कि संस्कृत के बगैर भारत की पहचान ही नहीं है। भारत है तो संस्कृत है। पूरा विश्व संस्कृत पर रिसर्च कर रहा है। नासा भी संस्कृत के माध्यम से खोज करने की योजना बना रहा है, वह चाहता है कि कम्प्यूटर की भाषा ही संस्कृत कर दी जाए तो अद्भुत परिणाम सामने आ सकते हैं। उन्होंने कहा कि संस्कृत में मनुष्य के मन में उठने वाली हर जिज्ञासा का समाधान है, आवश्यकता है इस पर योजनाबद्ध अनुसंधान किए जाने की।
शुरूआत माघ राग के लोकार्पण से

इससे पहले माघ महोत्सव की शुरूआत संस्कृत की राग माघ आधारित खास रचना ‘माघ राग’ के लोकार्पण से हुई। ये खास रचना अकादमी के लिए ग्रेमी अवाॅर्ड विजेता पद्मभूषण पं. विश्व मोहन भट्ट ने तैयार की है। माघ राग मूल रूप से एक संस्कृत गीत है, जिसे जाने-माने संस्कृत शास्त्री पद्मश्री अभिराज राजेन्द्र मिश्र ने लिखा है और बॉलीवुड सिंगर रवीन्द्र उपाध्याय ने स्वर दिए हैं। इसी दिन सुबह गणगौरी बाजार स्थित वीरेश्वर भवन में संस्कृत के शिक्षकों और छात्रों की भाषण व वाद विवाद प्रतियोगिताएं भी आयोजित की गईं। भाषण प्रतियोगिता का विषय ‘नैतिकता आन्दोलन भाषा की आवश्यकता और शिक्षक की भूमिका’ और वाद विवाद प्रतियोगिता का विषय ‘युवाओं में राष्ट्र बोध आजादी से पूर्व एवं पश्चात रखा गया।
बालोतरा के रविकान्त शर्मा प्रथम

भाषण प्रतियोगिता में राजकीय प्रवेशिका विद्यालय, बालोतरा के रविकान्त शर्मा प्रथम, भालवाड़ा के नरेन्द्र महर्षि ने द्वितीय और जयपुर के दुर्गा प्रसाद शर्मा ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। इसी तरह वाद विवाद प्रतियोगिता में पक्ष में हमीरगढ़ की रतनी बलाई ने प्रथम और विपक्ष में हमीरगढ़ की ही पूजा वैष्णव ने प्रथम स्थान हासिल किया। निर्णायक मण्डल के अध्यक्ष की भूमिका केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय जयपुर परिसर के प्रो. वाइएस रमेश ने निभाई। पुरस्कार वितरण समारोह की मुख्य अतिथि केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, जयपुर परिसर की निदेशक भगवती सुदेश थीं।

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