पटना. दो अक्टूबर यानी गांधी जयंती के दिन से बिहार सरकार शराबबंदी का नया कानून बिहार मद्यनिषेध और उत्पाद विधेयक, 2016 लागू करने जा रही है। इसकी अधिसूचना की अनुमति के लिए रविवार को राज्य कैबिनेट की बैठक बुलाई गई है। विधानमंडल के मानसून सत्र में इसी वर्ष इसे मंजूरी मिली थी और पिछले माह राज्यपाल ने इस पर हस्ताक्षर किए हैं। मद्यनिषेध संबंधी इस कानून में कई कड़े प्रावधान हैं। यह है नया कानून बिहार में शराबबंदी के लिए शुरू होने जा रहे नए कानून में प्रावधान है कि अगर आप अपने घर या अन्य परिसर में नशे की अनुमति देते हैं या फिर कोई कहीं नशे की हालत में पाया जाता है, किसी जगह शराब पीता या फिर अन्य मादक द्रव्य का सेवन करता मिलता है तो ऐसी स्थिति में पकड़े जाने पर कम से कम पांच वर्ष और अधिकतम सात साल की सजा होगी। अधिकतम 10 लाख का जुर्माना नशे की स्थिति में पकड़े जाने पर न्यूनतम एक लाख रुपये और अधिकतम 10 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। नए कानून में प्रावधान है कि किसी व्यक्ति ने शराब के नशे में उपद्रव अथवा हिंसा की तो कम से कम 10 वर्ष की सजा होगी। आजीवन कारावास भी हो सकता है खास बात यह है कि नशे की हालात में उपद्रव करने वाले की सजा को बढ़ाकर आजीवन कारावास में भी तब्दील किया जा सकता है। इस मामले में न्यूनतम जुर्माना एक लाख तथा अधिकतम 10 लाख रुपये होगा। घर में अगर शराब बरामद होती है तो बताना होगा कि घर में शराब कौन लाया? जानकारी नहीं देने पर संबंधित परिसर के मालिक को कम से कम आठ वर्ष की सजा होगी। इसे बढ़ाकर 10 वर्ष तक किया जा सकेगा। साथ ही 10 लाख रुपये तक जुर्माना लगाया जा सकेगा। महिलाओं को शराब के धंधे में लगाने पर आजीवन कारावास महिलाओं व 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को शराब के धंधे में लगाने पर कम से कम 10 वर्ष की सजा होगी। इसे बढ़ाकर आजीवन कारावास तक किया जा सकता है। न्यूनतम एक लाख और अधिकतम 10 लाख रुपये का जुर्माना भी उसे देना होगा। किसी गांव या शहर विशेष में शराबबंदी से संबंधित कानून का उल्लंघन हो रहा है तो डीएम को यह अधिकार होगा कि वह उक्त गांव या शहर विशेष पर सामूहिक जुर्माना लगा सकेंगे।