कहीं ये तो वजह नहीं अपने सगे भाइयों साधु यादव ( Sadhu Yadav ) और सुभाष यादव को छोड़ राबड़ी के हाथों से एक मुंहबोले भाई को राखी बांधा जाना चर्चा का विषय बन गया है। यह भी चर्चा में है कि मुंहबोले भाई ने राबड़ी ( Rabri ) को कोई खास उपहार भी दिया है। इस उपहार के बारे में मीडिया को कोई जानकारी नहीं दी गई। लिहाज़ा यह चर्चा का विषय बन गया है। दरअसल, लालू के आरोपी होने के बाद पद छोड़ने के साथ ही जैसे राबड़ी देवी सत्ता में आईं, लालू ( Lalu Prasad Yadav ) के समय से ही सत्ता के गलियारों में खास असर रखने वाले लालू के सालों साधु और सुभाष यादव की बन आई। आरोप यहां तक लगे कि लालू राज में जहां आम लोगों की तो छोड़िए राजद विधायकों का भी साधू-सुभाष को किनारे करते हुए लालू तक पहुंच पाना मुश्किल था, तो राबड़ी राज में यह दोनों और अधिक शक्तिशाली हो गए थे। असर पूरी पार्टी और राज्य के कामकाज तक भी पड़ने लगा था, जिससे लालू ने राबड़ी राज में ही दूरी बनानी शुरू कर दी थी।
तेज प्रताप- ऐश्वर्या मामले ने आग में डाला घी बदले हुए हालात में जहां सालों पहले से साधु-सुभाष यादव लालू परिवार से दूर हो चुके थे, वहीं हाल ही में लालू पुत्र तेज प्रताप यादव ( Tez Pratap Yadav ) और ऐश्वर्या की शादी के बाद दोनों के बीच रिश्तों में आई तल्खी के दौरान इनकी भूमिका ने इन दोनों के लालू परिवार में फिर से सम्मिलित होने की संभावनाओं को एक तरह से धूल धूसरित कर दिया। जहां उन्होंने तेज का साथ दिया, जबकि पूरा परिवार ऐश्वर्या ( Aishwarya ) के साथ खड़ा था। लालू की ओर से तेजस्वी को अपना उत्तराधिकारी बनाने पर भी दोनों भाई ( Sadhu-Subhash ) मुखर हुए और यहां तक आरोप जड़ दिया कि लालू ने पहले अपने सालों को दूर किया और अब छोटे बेटे ( Tejaswi yadav ) के मोह में बड़े बेेटे तेज प्रताप यादव को भी दूर कर रहे हैं। माना जा रहा है कि ऐसे हालात में लालू-राबड़ी ने इन दोनों से अब पूरी तरह किनारा कर लिया।
जानिए कौन हैं राबड़ी के मुंह बोले भाई राबड़ी देवी के मुंहबोले भाई सियासी महकमे की एक खास सख्शियत हैं। यह कोई आम आदमी नहीं, बल्कि बिहार में बिसकोमान के चेयरमैन सुनील सिंह हैं। सुनील सिंह राज्य का एक रसूखदार नाम माना जाता है। लालू राबड़ी राज में सुनील सिंह की खूब चली और अब नीतीश कुमार के राजपाट में भी इनका जलवा वैसे ही कायम है। आलम यह था कि लालू राज में जितनी सुभाष-साधु की चलती थी, उससे कम सुनील सिंह की नहीं चलती थी। अब हाल यह है कि राबड़ी देवी और उनके परिजनों ने साधु-सुभाष से तौबा कर लिया पर बिस्कोमान के चेयरमैन से इनकी नजदीकियां और बढ़ गईं।