वज्जि गणराज्य, लिच्छवी गणराज्य
वैशाली और मीथिला के पूरे क्षेत्र में गणराज्य स्थापित था। पहले वज्जि गणराज्य और उसके बाद लिच्छवी गणराज्य मजबूत हुआ। लिच्छवी गणराज्य की जो आम सभा या गणसंघ था, उसमें 7000 के करीब गण शामिल होते थे। गण अपने-अपने क्षेत्र या इलाके के राजा होते थे। ये राजा भी सामान्य जनों की तरह ही रहते थे। खेती करते थे, अपनी जीविका के लिए मेहनत करते थे। गण के जो परिवार होते थे, उनका मुखिया ही गण के रूप में गणराज्य के गणसंघ में शामिल होता था। सभी गण मिलकर ही गणराज्य की स्थापना करते थे। एक तरह से हर गांव या हर क्षेत्र का अपना-अपना विधान या तरीका हो सकता था, क्योंकि हर क्षेत्र या गांव की अपनी-अपनी जरूरतें होती हैं, अत: उनकी नीतियां और उनके लक्ष्य भी थोड़े-थोड़े अलग होते थे।
आज का गणतंत्र और वैशाली गणराज्य
आज हम चुनाव के जरिये गणों (पार्षद, पंच, विधायक, सांसद) का चुनाव करते हैं और ये गण ही निकाय, पंचायत, विधानसभा, संसद में बैठकर अपने क्षेत्र, प्रदेश और देश के बारे में फैसले लेते हैं। पहले के गणराज्य में जो गण होते थे, वो अपने-अपने क्षेत्र, गांव के सम्मानित-प्रभावी-सशक्त गणमान्य होते थे। लोग अपनी बात इन गणों तक पहुंचाते थे और ये गण गणराज्य की सभा या गण संघ में अपने लोगों की बात रखते थे।
वैशाली गणराज्य
सूर्यवंश के संस्थापक इक्ष्वाकु के पुत्र विशाल ने ही वैशालिक राजवंश और फिर विशाला की स्थापना की, जो कालांतर में वैशाली के नाम से प्रसिद्ध हुई। विशाल ने ईसा पूर्व सातवीं सदी के अंत में अपने राजतंत्र को गणराज्य में बदल दिया। गणराज्य की राजधानी वैशाली में थी, इसलिए इसे वैशाली गणराज्य कहा गया।
जिस दौर में भारत में गणराज्य था, उसी दौर के आसपास रोम में भी गणराज्य गठित हुए थे। उन गणराज्यों की कोई निशानी आज नहीं है, लेकिन वैशाली गणराज्य की निशानी आज भी देखी जा सकती है। वैशाली में आनंद स्तूप आज भी है, जहां कभी लिच्छवी गण संघ का आयोजन होता था।