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नवरात्र में जयकारों से गूंज रहे मंदिर, मां ब्रह्मचारिणी की भक्तों ने की पूजा

नवरात्र में जयकारों से गूंज रहे मंदिर, मां ब्रह्मचारिणी की भक्तों ने की पूजा

पन्नाApr 07, 2019 / 11:40 pm

Bajrangi rathore

navratra festival in panna

पन्ना। नवरात्र के पहले दिन शैलपुत्री, दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन चंद्रघंटा, चौथे दिन कूष्मांडा, पांचवें दिन स्कंदमाता, छठवें दिन कात्यायनी, सातवें दिन कालरात्रि, आठवें दिन महागौरी और नौवें दिन सिद्धिदात्री को पूजा जाता है। इसी के साथ नौवें दिन भगवान राम की पूजा अर्चना की जाती है।
चैत्र नवरात्र के दूसरे दिन पूजी जाने वाली मां ब्रह्मचारिणी मां दुर्गा का दूसरा स्वरूप हैं। चैत्र नवरात्र 6 से 14 अप्रेल तक है। यह हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है। देश-विदेश में यह धूमधाम से मनाया जाता है। माता की पूजा के अलावा चैत्र नवरात्र के नौवें दिन भगवान राम का जन्मदिन मनाया जाता है, जिसे अधिकतर लोग रामनवमी के नाम से जानते हैं। रविवार को जिलेभर के मंदिरों में भक्तों की खासी भीड़ रही। भक्तों ने माता की उपासना एवं पूजा-अर्चना की।
माता कलेही दरबार में सुबह से जल चढ़ाने का सिलसिला जारी

पवई में चैत्र राम नवरात्र के अवसर पर नगर सहित आसपास ग्रामीण क्षेत्रों के देवी मंदिरों में पूजा-अर्चना करने वाले भक्तों की भीड़ उमडऩे लगी है। माता कलेही के दरबार मे सुबह 5 बजे से जल चढ़ाने वाले भक्तों का सिलसिला शुरू हो जाता है। इसी तरह मरही माता, कालका माता, संतोषी माता मंदिर में भी सुबह से आस्था उमड़ती है। माता के जयकारे गूंज रहे हैं।
प्राणनाथ चौराहे पर सामूहिक प्रार्थना कर नया ध्वज चढ़ाया

मंदिरों की पवित्र नगरी में हिन्दू नववर्ष पर सुबह से ही लोगों में उत्साह देखा गया। लोगों ने मंदिरों में मत्था टेका और एक-दूसरे को नववर्ष की बधाई दी। नगर में कई जगह विविध कार्यक्रम आयोजित किए गए। प्राणनाथ चौराहे पर सामूहिक प्रार्थना कर पुराने ध्वज को उतारकर नया ध्वज चढ़ाया गया।
इस अवसर पर श्री 108 प्राणनाथ मंदिर ट्रस्ट के न्यासीगण, प्रबंधक सहित सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु शामिल रहे। धर्माचार्य पंडित खेमराज शर्मा, प्राणनाथ ट्रस्ट के न्यासीगण सचिव मुन्नलाल शर्मा, राजकुमार दुबे, बाबूलाल शर्मा, प्रबंधक राजकिशन शर्मा, पुजारी रोशनलाल त्रिपाठी, पुजारी मदन शर्मा, मनीष शर्मा, यज्ञराज शर्मा आदि उपस्थित रहे। ज्ञात हो कि विक्रम संवत 1735 सन् 1678 ई को देवभूमि हरिद्धार के कुंभ मेले मेें महामति प्राणनाथ का आगमन हुआ और चारों सम्प्रदायों, दस नाम सन्यासियों, षटदर्शनियों से शास्त्राचार्य में विजय प्राप्त हुई और महामति प्राणनाथ ने निजानंद सम्प्रदाय पद्धति की व्याख्या की।
विजयाभिनंद बुद्ध शाका 342वें के शुभ आगमन पर दिव्य आलोकमयी ब्रम्हावाणी के अध्ययन मनन एवं निद्धियासन द्वारा आत्मजागृति के मार्ग पर आरोहित इहलौलिक व पारलौलिक जीवन सदा सुखी, समृद्धशाली एवं मंगलमय की कामना के साथ कार्यक्रम हुए।

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