नगर के भगवान जुगल किशोर मंदिर में आज मनाया जाएगा श्रीकृष्ण जन्मोत्सव। इसके लिए मंदिर को श्रीकृष्ण मंदिरों को आकर्षक लाइटिंग से सजाया गया है। मंदिर का सौंदर्य देखते ही बनता है। भगवान जुगल किशोर मंदिर के पुजारी अवध बिहारी बताते हैं कि जन्मोत्सव के लिए हर साल भगवान के वस्त्र मथुरा-वृंदावन से मंगवाए जाते हैं। जन्मोत्सव के आयोजन की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। 3 सितंबर की रात को ठीक 12.00 बजे भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाएगा। जिसकी तैयारियां अब अंतिम दौर में पहुंच गई हैं। कृष्ण जन्मोत्सव आयोजन के अन्तर्गत हजारा आरती 12 बजे उतारी जाएगी एवं दर्शनार्थियों को प्रसाद वितरण किया जाएगा। मंदिर प्रांगण में दधिकांदो एवं भवन कीर्तन का कार्यक्रम 4 सितंबर को दोपहर 3.30 बजे से शाम 6.30 बजे तक आयोजित किया जाएगा। इसी दिन कृष्णजी की शयन आरती के बाद रात 10.30 बजे से रात 2 बजे तक विशाल भंडारा भोज का आयोजन किया जाएगा। मंदिर परिसर में भंडारे की तैयारियां भी अभी से शुरू हो गई हैं।
होली तीज से औपचारिक रूप से गर्मी की शुरुआत भी मानी जाती है। इसी कारण से होली तीज के बाद नगर के मंदिर के खुलने और बंद होने के समय में परिवर्तन हो जाता है। होली तीज से भगवन जुगल किशोर मंदिर में भगवान की की मंगल आरती के दर्शन ५ बजे से ५.१० तक , तरह से सुबह कनक कटोरा की आरती के दर्शन सुबह ७ बजे से ७.१० बजे तक होते हैं। दोपहर में १२ बजे की आरती और दोपहर १२ से २.३० बजे तक दर्शन का का समय पूरे पूरे साल एक समान ही रहता है। शाम को 7.30 बजे आरती और रात्रि दर्शन १० बजे तक होंगे। रात 10.30 बजे भगवान की व्यारी और शयन आरती होगी। जबकि ठंड के दिनो में मंगल आरती 5.30 से होती है। कनक कटोरा के दर्शन भी ८ बजे होते हैं। इसी तरह से शाम को आरती7.00 बजे और रात्रि दर्शन का समय 10.00बजे होते हैं।
भगवान जुगल किशोर मंदिर के पुजारी अवध बिहारी बताते हैं कि यू तो भगवान युगल किशोर के साक्षात दर्शन देने के प्रमाण नहीं हैं लेकिन यहां ऐसा कोई नहीं जिसने उनके चमत्कारों के बारे में नहीं सुना हो। ये बताते हैं कि मंदिर के पीछे एक बार बच्चे लोग गिल्ली डंडा खेल रहे थे। उनके से कुर्ता पहने हुए एक बच्चे ने उन बच्चों को खूब पदाया था। जब उसके पदने का समय आया तो मंदिर के खुलने का समय हो चुका था। मंदिर खुलने की आहट होते ही वह बच्चा दाम देना छोड़कर भागने लगा। इसपर उसे साथ खेल रहे मोहल्ले के दूसरे बच्चों ने उसको पकडऩे का प्रयास किया तो बच्चे के कुर्ते का एक हिस्सा बच्चों के हाथ में आ गया। गांव के बच्चे पुजारी के पास पहुंचे और कहने लगे कि एक लड़का उनका दाम देने के समय भागकर मंदिर के अंदर घुस गया है। पुजारी ने उन्हें समझाया कि अभी तो मंदिर के सभी दरवाजे बंद हैं। जब मंदिर ही नहीं खुला तो कोई बच्चा अंदर कैसे जा सकता है, बच्चे थे कि पुजारी की बात को मानने के लिये तैयार ही नहीं थे। बच्चों ने उसे बच्चे के कुर्ते का तुकड़ा भी पुजारी को दिखाया। बच्चों की जिद पर जब पुजारी कुर्ते का तुकड़ा लेकर मंदिर के अंदर बच्चे को तलाश रहे थे तभी उन्होंने देखा कि भगवान जुगल किशोर के कुर्ते का एक हिस्सा भी फटा हुआ है। उन्होंने जब कुर्ते के तुकड़े के भगवान के कुर्ते से मिलाया तो वे आश्चर्य चकित रह गए कि बच्चों के हाथ में मिला कपड़े का तुकड़ा दरअसल भगवान के कुर्ते का ही हिस्सा था। अब उन्होंने अनुमान लगाया कि भगवान ने ही बाल रूप में बच्चों के साथ खेला होगा। कुछ ही समय बाद मंदिर में हुए इस चमत्कार की चर्चा मंदिर से होते हुए शहर और फिश्र पूरे क्षेत्र में फैल गई।
पुजारी अवध बिहारी ने बताया कि बराछ निवासी हि मतदास भगवान के अनन्य भक्त थे। वे भगवान की व्यारी आरती के नियमित दर्शन किया करते थे। एकबार की बात है कि बारिश के समय तेज बारिश होने के कारण वे बीच में कहीं रुक गए गए थे। इससे जब वे मंदिर पहुंचे तो भगवान की व्यारी आरती हो चुकी थी और मंदिर के पट बंद हो गए थे। इससे भक्त हि मतदास बहुत दुखी हुए और उन्होंने भगवान से प्रार्थना की। वे उदास हो चुके थे और मंदिर के गेट में बैठे हुए थे तभी अचानक तेज बारिश होने लगी और बादलों की तेज गडग़ड़ाहट के साथ बिजली की तेज चमक के साथ अचानक मंदिर के बंद पट खुल गए और भक्त हि मतदार को भगवान जुगल किशोर के दर्शन हुए। श्रद्धालुओं की जुबान पर भगवान जुगल किशोर के चमत्कार की दर्जनों कई कहानियां सुनी जा सकती हैं। भगवान का यह मंदिर बड़ा ही चमत्कारी है। कहते हैं यहां साक्षात भगवान विराजते हैं। यहां लोगों की मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं।
-. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव: भगवान जुगल किशोर मंदिर में सालभर में अयोजित होने वाला सबसे बड़ा पर्व है। निभाई जाने वाले वृंदावन की परंपरएं लोगों को आकर्षित करती हैं
नगर के भगवान श्रीजुगल किशोर मंदिर के अतिरिक्त नगर के गोविंदजी मंदिर चौक स्थित गोविंदजी मंदिर, बिहारी जू मंदिर, नवल किशोरजी मंदिर, राधाकृष्ण मंदिर और प्राणनाथा मंदिर में भी भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाएगा। गोविंदजी मंदिर में जन्मोत्सव 3 सितंबर को रात्रि 11.30 बजे मनाया जाएगा। यहां पर छठी कार्यक्रम 9 सितंबर को रात्रि 8.30 बजे एवं भंडारा कार्यक्रम रात 9 बजे से आयोजित किया जाएगा। प्राणनाथ मंदिर में भी रात को १२ बजे श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाएगा। इसके अलावा जिले के अन्य मंदिरों में भी श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाए जाने की परंपरा है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव पर बड़ी सं या में श्रद्धालु दिनभर व्रत रखकर रात में जन्मोत्सव के बाद पारन करते हैं। पूजन में खीरे का विशेष महत्व होने के कारण इस अवसर पर खीरे और अन्य फलों की डिमांड भी बढ़ जाती है। आयोजन को लेकर 20 अगस्त को प्रशासनिक अधिकारियों, मंदिर समिति के सदस्यों की बैठक भी आयोजित की जा चुकी है।