facebook.com/pali.patrika पर देखें लाइव साक्षात्कार
Q : आप राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए नामित हुए है कैसा महसूस कर रहे हैं?
A: यह पुरस्कार मेरे लिए गौरव की बात है। पाली जैसे छोटे शहर के युवा को राष्ट्रीय स्तर का पुरस्कार मिलना एक प्रमाण है कि आप के कार्य अच्छे हैं। इससे यह भी प्रमाणित होता है कि आप सही दिशा में जा रहे है।
Q : दिव्यांगों को मजबूत व सशक्त बनाने के लिए क्या किया जाना चाहिए?
A : दिव्यांगों को मुख्यधारा में लाने के लिए सबको मिलकर प्रयास करना होगा। नियम व कानून तो बने हैं, लेकिन आज भी दिव्यांगों का बहुत बड़ा तबका अधिकारों के लिए लड़ रहा है। मुख्यधारा से वंचित है। समाज के हर व्यक्ति को दिव्यांगों को प्रति अपनी विचारधारा बदलनी होगी। धरातल पर बदलाव की आवश्यकता है।
Q : आम नागरिक, समाज और सरकार…तीनों के लिए दो महत्वपूर्ण सुझाव, जिससे दिव्यांग मजबूत बन सकें।
A: दिव्यांगों को सहानुभूति नहीं चाहिए। आम नागरिक को चाहिए कि वे दिव्यांग को स्वावलम्बी बनाने में आगे आएं। वहीं सरकारों को चाहिए कि वे दिव्यांगों को सरकारी दफ्तरों के चक्कर से मुक्ति दिलाएं। योजनाओं का इतना सरलीकरण किया जाए कि उसे घर बैठे लाभ मिल सके।
A : चुनावों में दिव्यांगों की बात कोई नहीं करता। ऐसे मुद्दे चुनावोें की सुर्खियां कभी नहीं बनते। रही बात विधानसभा और लोकसभा में सवाल उठाने की, कई सदस्य सवाल तो जरूर पूछते हैं, लेकिन इससे होता कुछ नहीं है। देश में अपेक्षा के अनुरूप दिव्यांगों के लिए सशक्त योजनाएं बनाने की महत्ती जरूरत है।
A : इस क्षेत्र में कई तरह के चैलेंज हैं। दिव्यांगता कई तरह की होती है। सबके अलग-अलग चैलेंज है। दिव्यांगता के अनुरूप योजनाएं बनाई जानी चाहिए। इसके लिए मैं प्रयास करता रहूंगा। क्रिटिकल दिव्यांग सम्मानपूर्वक और गरीमामय जीवन जी सके, इसके लिए प्रयास करूंगा। इसके लिए सरकार और विभिन्न मंचों पर आवाज उठाता रहता हूं। यहां तक की सुप्रीम कोर्ट तक कई मामलों को ले जाने का प्लान बना रखा है। दिव्यांगों के अधिकारों की लड़ाई हर स्तर पर लड़ता रहूंगा। यही मेरे जीवन का मुख्य उद्देश्य है।