दस फीट पानी कम से कम होना चाहिए
जवाई बांध में मार्स क्राॅकोडाइल प्रजाति के मगरमच्छ है, ये मीठे पानी में ही रहते है। इनकी लम्बाई छह से तेरह फीट होती है। इनकी उम्र करीब 70 से अस्सी साल रहती है। हालांकि यह मगरमच्छ बिना पानी के भी चार से छह महीने तक सुषुप्तावस्था में जाकर जीवित रह सकते हैं, विशेषज्ञों की माने तो इनके लिए कम से कम दस फीट पानी रहना चाहिए, लेकिन जवाई बांध में फिलहाल कम नी में ही ये रह रहे हैं, जो इनके साथ सीधा खिलवाड़ है।
जवाई बांध में मार्स क्राॅकोडाइल प्रजाति के मगरमच्छ है, ये मीठे पानी में ही रहते है। इनकी लम्बाई छह से तेरह फीट होती है। इनकी उम्र करीब 70 से अस्सी साल रहती है। हालांकि यह मगरमच्छ बिना पानी के भी चार से छह महीने तक सुषुप्तावस्था में जाकर जीवित रह सकते हैं, विशेषज्ञों की माने तो इनके लिए कम से कम दस फीट पानी रहना चाहिए, लेकिन जवाई बांध में फिलहाल कम नी में ही ये रह रहे हैं, जो इनके साथ सीधा खिलवाड़ है।
अभी डेड स्टोरेज से भी कम पानी
बांध में अभी कम पानी ही है, इसमें से भी पम्पिंग कर रोजाना पानी निकाला जा रहा है। ये साढ़े तीन सौ मगरमच्छ डेड स्टोरेज के पानी में ही रहने को मजबूर है। अब इनको केवल मानसून की आस है।
बांध में अभी कम पानी ही है, इसमें से भी पम्पिंग कर रोजाना पानी निकाला जा रहा है। ये साढ़े तीन सौ मगरमच्छ डेड स्टोरेज के पानी में ही रहने को मजबूर है। अब इनको केवल मानसून की आस है।
पानी की गंदगी साफ कर देते है मगरमच्छ
यह सहीं है कि जवाई बांध में रहने वाले करीब साढ़े तीन सौ से अधिक मगरमच्छ है। ये पानी के पर्यावरण को संतुलित करते है। पानी में मृत जीवों का यह भोग कर लेता है, इससे पानी में गंदगी नहीं रहती है। इनका जवाई बांध में होना अच्छा संकेत है। अभी जवाई बांध में पानी नहीं है, लेकिन ये मगरमच्छ बिना पानी के भी सुषुप्तावस्था में जाकर बिना हिले डूले चार से छह माह तक जिंदा रह सकते हैं। जवाई बांध के बीच में पहाड़ों के खड्डों में घुस जाते है, जहां इनकी एनर्जी कम खर्च होती है। – पुष्पेन्द्र सिंह राजपुरोहित, वन संरक्षक, जवाई बांध एरिया, पाली।
यह सहीं है कि जवाई बांध में रहने वाले करीब साढ़े तीन सौ से अधिक मगरमच्छ है। ये पानी के पर्यावरण को संतुलित करते है। पानी में मृत जीवों का यह भोग कर लेता है, इससे पानी में गंदगी नहीं रहती है। इनका जवाई बांध में होना अच्छा संकेत है। अभी जवाई बांध में पानी नहीं है, लेकिन ये मगरमच्छ बिना पानी के भी सुषुप्तावस्था में जाकर बिना हिले डूले चार से छह माह तक जिंदा रह सकते हैं। जवाई बांध के बीच में पहाड़ों के खड्डों में घुस जाते है, जहां इनकी एनर्जी कम खर्च होती है। – पुष्पेन्द्र सिंह राजपुरोहित, वन संरक्षक, जवाई बांध एरिया, पाली।